देश लोगों से मिलकर बनता है, पर देश अपने सभी लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता. इसकी सटीक व्याख्या करती है अरुण चन्द्र रॉय की कविता ‘देश: आपके लिए हमारे लिए’.
1
आपके लिए
बनी सड़क
आई बिजली
बने पब्लिक स्कूल
नए-नए कॉलेज
हमारे लिए
हुए हर साल
वादे
2
आपके लिए
बने नए शहर
हुए निवेश
आयात हुई प्रौद्योगिकी
हमारे लिए
हुए हर साल
नए-नए वादे
3
आपके लिए
सहज हुई नीतियां
आसान हुई नीलामियां
सरकार बनी गारण्टर
हमारे लिए
हुए हर साल
कुछ और नए वादे
Illustration: Pinterest
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