बूढ़ा होता अख़बारवाला और घटती छोटी बचत: अरुण चन्द्र रॉय की कविता
अपने आसपास की रूटी न घटनाओं और लोगों को संवेदनशीलता की नज़र से एक कवि ही देख सकता है. बूढ़ापे ...
अपने आसपास की रूटी न घटनाओं और लोगों को संवेदनशीलता की नज़र से एक कवि ही देख सकता है. बूढ़ापे ...
मनुष्य द्वारा स्वयं को इस दुनिया का नियंता समझने की ग़लतफ़हमी को दूर करती यह कविता बताती है कि इस ...
रामधारी सिंह दिनकर का महाकाव्य रश्मिरथी महाभारत का काव्यांतरण है कुंती के जेष्ठ पुत्र यानी कर्ण के नज़रिए से लिखे इस महाकाव्य ...
समय के साथ कई चीज़ें बदल जाती हैं. पर इस बदलाव में भी कई चीज़ें नहीं बदलतीं. रूपक के तौर ...
सारी सुख-सुविधाओं का त्याग कर देश की रक्षा में सदा तत्पर हमारे वीर जवानों को समर्पित है सुभद्रा कुमारी चौहान ...
धूमिल की रचनाओं में लंबी कविता ‘मोचीराम’ की विशेष जगह है. जूते की मरम्मत करनेवाला एक आदमी समाज के हर ...
धूमिल की कविता ‘बीस साल बाद’ देश की आज़ादी के बीस वर्ष बीतने पर लिखी गई थी, लेकिन आज आज़ादी ...
प्रसिद्ध चंद्रवंशी राजा पुरुरवा का पौत्र तथा प्रतापी राजा नहुष पहला और एकमात्र मनुष्य हुआ जिसने देवलोक पर शासन किया. ...
प्यार, प्यार की यादें और प्यार करनेवाले सारी दुनियादारी भुला देते हैं. ‘तमन्ना फिर मचल जाए’ जावेद अख़्तर की यह ...
बिना बोले बर्फ़ बहुत कुछ कहती है, पर उसे समझने के लिए एक कवि हृदय चाहिए. संवेदनशील कवि अरुण चन्द्र ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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