तो आप ऑफ़िस के ज़रूरी काम भूलने लगे/लगी हैं? सिर में भारीपन रहता है? बात करते-करते कई बार लॉस्ट हो जाते/जाती हैं? और इस सबका आपके काम पर प्रतिकूल असर पड़ने लगा है? इसका सीधा मतलब है कि आपका स्मार्टफ़ोन आपके साथ ओवर-स्मार्टनेस कर रहा है और आपको डिजिटल डीटॉक्स की सख़्त ज़रूरत है. यहां हम आपको स्मार्टफ़ोन के बारे में कुछ ऐसी बातें भी बताएंगे कि आपको डिजिटल डीटॉक्स करने का मन हो आएगा और आप इसपर स्टिक करना चाहेंगे/चाहेंगी, ताकि अपने परफ़ॉर्मेंस को वापस पहले के स्तर तक ले जा सकें.
आइए, सबसे पहले आपको कुछ फ़ैक्ट्स बताते हैं. वर्ष 2021 में एक मोबाइल डेटा ऐनालिटिक्स कंपनी ऐप ऐनी द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक़ भारत में रोज़ाना लोग औसतन लगभग पांच घंटे (दरअस्ल 4.7 घंटे) का समय अपने मोबाइल फ़ोन पर बिताते हैं और हमारा देश विश्वभर में फ़ोन पर ज़्यादा समय बिताने वाले देशों की सूची में पांचवे नंबर पर है. हमसे पहले हैं ब्राज़ील, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया और मेक्सिको.
एक अमेरिकी स्टडी के अनुसार वहां चार में से हर तीसरे व्यक्ति के पास स्मार्टफ़ोन है और औसतन हर व्यक्ति प्रतिदिन अपने स्मार्टफ़ोन को 2600 बार छूता है.
क्या आपको यह पता है कि आपके फ़ोन्स को डिज़ाइन ही इस तरह किया गया है कि आप उससे चिपके बैठे रहें? ढेर सारे ऐप्स, उनके पुश और बबल नोटिफ़िकेशन्स, अंतहीन फ़ीड्स इस तरह बनाए गए हैं कि आपका ध्यान भटके और इंटरनेट पर व्यापर कर रही, विज्ञापन दे रही कंपनियों का कारोबार चमके.
क्या आपने सोचा है कि स्मार्टफ़ोन के इतने पिंग्स, बज़, स्क्रोल्स और स्वाइप्स, आख़िर आप पर कैसा असर डाल रहे हैं? इस बात पर ग़ौर किया है कि हम अपने स्मार्टफ़ोन्स पर इतने ज़्यादा निर्भर हो गए हैं कि शायद ही कुछ लोगों के मोबाइल नंबर हमें मुंह-ज़बानी याद हों. इतनी सारी सूचनाएं मिल रही हैं, क्या वाक़ई इतनी सूचनाओं की आपको दरकार है? या ये सूचनाएं केवल आपके दिमाग़ में ग़ैरज़रूरी चीज़ें भरने का काम कर रही हैं? कहीं स्मार्टफ़ोन आपको ज़रूरी कामों के बीच डिस्ट्रैक्ट तो नहीं कर रहा? और सबसे ज़रूरी बात ये कि कहीं आपके प्रोडक्टिव दिन का एक बड़ा हिस्सा स्मार्टफ़ोन में आने वाले नोटिफ़िकेशन्स की वजह से बेकार तो नहीं जा रहा?
यदि आपने इन बातों पर ग़ौर किया है और चाहते हैं कि आपकी याद्दाश्त, प्रोडक्टिविट और सक्रियता बढ़े तो यक़ीनन आपको डिजिटल डीटॉक्स की ज़रूरत है. और यहां हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं.
आख़िर डिजिटल डीटॉक्स क्या है और क्यों किया जाए?
जिस तरह शरीर से ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए हम डीटॉक्स करते हैं, बिल्कुल उसी तरह डिजिटल गैजेट्स और स्क्रीन में उलझे अपने दिमाग़ को राहत और शांति देने के लिए हम डिजिटल डीटॉक्स करते हैं. इसका सीधा मतलब है कि इन डिजिटल डिवाइसेस से दूरी बना ली जाए. उन्हें उतना ही इस्तेमाल करने की कला सीखी जाए, जो आपके प्रदर्शन पर सकारात्मक असर डाले, ना कि उसे नुक़सान पहुंचाए. आपको बता दें कि यदि आप डिजिटल डीटॉक्स करेंगे तो सिर में जो भारीपन महसूस होता है या फिर जो शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस की समस्या होने लगी है, वह भी धीरे-धीरे दूर हो जाएगी. लेकिन यहां यह बताना भी ज़रूरी है कि डिजिटल डीटॉक्स करने के लिए आपको दृढ़ रहना होगा, क्योंकि शुरुआत के कुछ दिनों तक यह बिल्कुल आसान नहीं रहनेवाला. हां, जब तीन ही दिनों के भीतर आपको इसके नतीजे दिखाई देने लगेंगे तो डिजिटल डीटॉक्स ख़ुद ब ख़ुद करते रहना चाहेंगे.
कैसे करें डिजिटल डीटॉक्स?
जैसा कि हमने ऊपर भी बताया-यह आसान तो बिल्कुल नहीं है, लेकिन यदि आपने मन कड़ा कर लिया है तो मुश्क़िल भी नहीं है. लगभग हम सभी इन दिनों लैपटॉप/डेस्कटॉप पर काम करते हैं. इसका मतलब काम के आठ घंटे तो हमें स्क्रीन देखते हुए ही बिताने पड़ते हैं और बीच-बीच में हम अपने स्मार्टफ़ोन में झांकते रहते हैं: ऐप नोटिफ़िकेशन्स, सोशल मीडिया, न्यूज़ वेबसाइट्स, ई-कॉमर्स साइट्स, बैंक्स की वेबसाइट्स, पर कई बार बेवजह ही टाइम खोटा करते रहते हैं, जिससे हमारा दिमाग़ थकने लगता है और परफ़ॉर्मेंस पर असर पड़ने लगता है. अब ऑन स्क्रीन काम तो रोका नहीं जा सकता इसलिए आपको अपने स्मार्टफ़ोन के साथ बहुत ओवर-स्मार्ट तरीक़े से पेश आना होगा. इसके लिए इन बातों पर ध्यान दें:
• जब काम कर रहे हों तो फ़ोन पास में रखना ज़रूरी भी हो जाता है. ऐसे में अपने फ़ोन को पलटकर रखें यानी उसका स्क्रीन वाला हिस्सा नीचे की ओर हो और पीछे का हिस्सा ऊपर की ओर. ये बड़ा प्रैक्टिकल टिप है, जो आपको डिजिटल डीटॉक्स की शुरुआत में बहुत मदद करेगा.
• अपने सभी ऐप्स के सभी नोटिफ़िकेशन्स को म्यूट पर डाल दें. ऐसे में जब नोटिफ़िकेशन्स नज़र ही नहीं आएंगे तो आपका ध्यान बेवजह भटकेगा ही नहीं.
• काम के बीच जब भी ब्रेक लें, बजाय अपना फ़ोन चेक करने के थोड़ा टहल लें, अपना कॉफ़ी मग सिंक में रख दें, वर्कफ्रॉम होम कर रहे हैं तो घर के किसी सदस्य से बात कर लें, खिड़की के पास खड़े हो जाएं, लेकिन किसी दूसरे स्क्रीन की तरफ़ आकर्षित न हों. फिर चाहे वो फ़ोन हो या टीवी.
• अपने दिन का एक शेड्यूल बनाएं और उसपर स्टिक करें. आप चाहें तो किसी अनुकूल समय में आधा घंटा फ़ोन पर भी बिता सकते हैं, लेकिन आधा घंटा यानी आधा घंटा.
• अपनी दूसरी हॉबीज़ पर ध्यान दें. फिर चाहे वो जो भी हों, जैसे- गार्डनिंग, डांसिंग, वॉकिंग, पेंटिंग, एक्सरसाइज़िंग. और जब हॉबीज़ पर ध्यान दे रहे हों तो फ़ोन को इतनी दूर रखें कि यदि किसी का कॉल आ रहा हो उठाया जा सके, लेकिन कॉल न आ रहा हो तो बेवजह उसे न उठाया जाए.
• सोने से एक घंटे पहले और उठने के दो घंटे बाद तक डिजिटल डिवाइसेस से दूर रहें. किसी का फ़ोन आए तो अटैंड करें, लेकिन स्क्रीन निहारने का काम बिल्कुल न करें. यक़ीन मानिए, इसे अमल में लाना कठिन नहीं है.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट