बचपन में हमने-आपने सभी ने कोई न कोई बहाना ज़रूर बनाया होगा, चाहे होम वर्क पूरा न करने पर या फिर देर से घर आने पर. लेकिन तब और अब भी बच्चों के ये बहाने इतने हल्के होते हैं कि टीचर्स या पैरेंट्स तुरंत ही उन्हें पकड़ लेते हैं और बच्चों को इसके लिए सज़ा भी मिल जाती है. पर क्यों बनाते हैं बच्चे बहाने? क्या करें जब बच्चे को बहाने बनाने की आदत पड़ जाए? इन बातों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पढ़ें यह आलेख.
ऐसा नहीं है कि आजकल के बच्चे ही बात-बात पर बहाने बनाते हों. बहाने तो हमने भी अपने बचपन में बनाए होंगे. पर चूंकि इन दिनों बतौर पैरेंट्स हम बच्चों की साइकोलॉजी को भी समझने की कोशिश करते हैं, यह जानने की इच्छा आपके मन में भी होगी कि आख़िर बच्चे बहाने बनाते क्यों हैं? इस सवाल का सबसे छोटा जवाब ये है कि बच्चों के मन में भी नाज़ुक सा अहंकार होता है और अपनी व्यक्तिगत कमज़ोरी का सामना करना बच्चों के लिए मुश्क़िल भी होता है. वे उम्र में छोटे होते हैं, पर जानते हैं कि उनकी ग़लती पर उन्हें बड़ें डांट या फटकार भी सकते हैं. यही वजह है कि वे अपनी ग़लतियों को सीधे तौर पर मानने की बजाय उन्हें लेकर बहाने बनाते हैं.
बच्चों के बहाने बनाने की दूसरी वजह ये होती है कि वे ग़लत काम के नकारात्मक नतीजों से बचना चाहते हैं, जैसे- मां या पिता की नाराज़गी या किसी दूसरी तरह की सज़ा वगैरह. कभी कभार बहाने बनाना आप नज़रअंदाज़ कर सकते हैं, लेकिन बच्चों को बहाने बनाने की आदत कभी न लगने दें. ऐसा होगा तो जवे जीवनभर अपनी ज़िम्मेदारियों से बचने के लिए भी बहाने बनाते रहेंगे और उनका जीवन दूसरों को दोष देने में ही बीतेगा. इससे पहले कि बहाने बनाने की आदत उनके जीवन की सफलता की राह में रोड़े अटकाए, आप इस आदत को यूं दूर करें…
बच्चों का मन जीतें
जब कभी आपका बच्चा बहाने बनाए तो बजाय उस पर नाराज़ होने के या उसे कोई सज़ा देने के आप उसे बताएं कि ग़लतियां होना या कुछ करना भूल जाना, यह बहुत सामान्य बात है और ऐसा सभी से होता है. कभी-कभी आपसे भी होता है, लेकिन यदि हम अपनी ज़िम्मेदारी लें या फिर अपनी ग़लती मान लें तो हम चीज़ों को सुधार भी सकते हैं. बच्चों को इस बात का भरोसा दिलाएं कि यदि तुमसे कोई ग़लती या भूल हो जाए तो भी इसके बारे में हमें खुल कर बताओ, अपनी ग़लती मान लो… वादा करो कि आगे यह ग़लती नहीं दोहराओगे और तुम्हें माफ़ी ज़रूर मिलेगी. जब आप इस तरह बच्चे का मन जीत लेंगे तो वो अपनी सभी सही-ग़लत बातें आपसे शेयर कर सकेगा और बहाने नहीं बनाएगा.
चीज़ों की व्याख्या करें
जब कभी आपका बच्चा कोई बहाना बनाए तो उससे बात करें. उसे अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर बताएं कि बहाने बनाने से या ख़ुद को दोषमुक्त कह देने भर से चीज़ें आसान नहीं हो जातीं. उसे बताएं कि कैसे किसी दोस्त से ख़राब ढंग से बात करने पर या उसके साथ स्वार्थभरा बरताव करने पर वह आपके बच्चे का दोस्त नहीं बना रहेगा. और कैसे दोस्तों और टीचर्स का सहयोग कर के वह सभी के साथ अपने रिश्ते मज़बूत बना सकता/सकती है. बच्चों को यह भी समझाएं कि कैसे किसी के बारे में कोई झूठा बहाना बनाने से वे लोग उससे नाराज़ हो सकते हैं, उसकी बात को तवज्जो देना बंद कर सकते हैं. उसके साथ खेलना बंद कर सकते हैं.
बहाने बनाने और व्याख्या करने के बीच का फ़र्क़ समझाएं
कई बार बच्चे इस बात को लेकर भी असमंजस में रहते हैं कि वे बहाना बना रहे हैं या फिर अपनी बात रख रहे हैं. तो बच्चों को यह समझाने से भी बात बन जाती है कि बहाने बनाने और अपनी बात रखने के बीच क्या फ़र्क़ है. आप उन्हें बताएं कि जब आप अपनी बात रखते हुए किसी बात की ज़िम्मेदारी लेने से बचते हैं तो ये बहाना है, जैसे- यदि आपकी होमवर्क वाली कॉपी स्कूल में ही छूट गई तो यह कह देना कि टीचर ने कॉपी दी ही नहीं या फिर मेरी कॉपी किसी दूसरे दोस्त ने ले ली यह बहाना बनाना है. लेकिन यह कहना कि मैं छुट्टी होने पर जल्दबाज़ी में अपनी होमवर्क बुक स्कूल में ही छोड़ आया/आई… सच्चाई भी है और इसमें वे ग़लती होने के बावजूद अपनी ज़िम्मेदारी को भी समझ रहे हैं. इसी तरह खेल-खेल में किसी दूसरे दोस्त को धक्का लग जाने पर यह कहना कि मेरी कोई ग़लती नहीं थी, बहाना है. लेकिन यह मानना कि खेलते समय मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि कब मेरी वजह से दोस्त को धक्का लगा और वह गिर गया/गई, उस घटना की व्याख्या है, बहाना नहीं.
दोषारोपण की जगह बच्चों को समस्या का समाधान सिखाएं
यदि आप बच्चे को बहाने बनाने की आदत से बचाना चाहते हैं तो अपने घर में भी चीज़ों के लिए दोषारोपण से बचें. किसी व्यक्ति या किसी चीज़ पर दोष डालने के बजाय अपने बच्चे को उस स्थिति से निपटने के तरीक़े पर ध्यान देने को कहें. उदाहरण के लिए किसी दोस्त ने उसे धक्का दिया तो बजाय उसे धक्का देने के आपका बच्चा इस बारे में उस बच्चे से बात करे और उसे ऐसा करने से मना करे, वहां मौजूद किसी उम्र में बड़े इंसान की मदद ले, वहां से घर लौट आए. बच्चों को बताएं कि आपके आसपास जो भी स्थिति बनती है, उसपर कई बार आपका नियंत्रण न भी हो, तब भी उसके बाद आप जो निर्णय लेते हैं, उस पर आपका नियंत्रण रह सकता है. तो बजाय कोई बहाना बनाने के आप सही निर्णय लीजिए, क्योंकि वही आपके काम आएगा.
फ़ोटो : फ्रीपिक