• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home रिलेशनशिप पैरेंटिंग

जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग दुनिया को बनाएगी बेहतर

शिल्पा शर्मा by शिल्पा शर्मा
May 17, 2022
in पैरेंटिंग, रिलेशनशिप
A A
जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग दुनिया को बनाएगी बेहतर
Share on FacebookShare on Twitter

यदि आपको लगता है कि पितृसत्तात्मकता ने केवल बच्चियों, लड़कियों, युवतियों और महिलाओं को ही हानि पहुंचाई तो आप सर्वथा ग़लत हैं. पैट्रिआर्की ने जितना नुक़सान महिलाओं को पहुंचाया है, उतना ही पुरुषों को भी पहुंचाया है. इस आलेख में हम ये तो बताएंगे ही कि कैसे, लेकिन उससे भी ज़रूरी ये बात बताएंगे कि कैसे जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग आपके बच्चे के लिए और हमारी संपूर्ण मानव प्रजाति के लिए वरदान साबित हो सकती है.

इसके पहले कि हम आपको यह बताएं कि जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग क्या है और कैसे की जानी चाहिए, यह बताना ज़्यादा ज़रूरी है कि किस तरह पितृसत्तात्मकता ने महिलाओं के साथ ही नहीं, बल्कि पुरुषों के साथ भी ज़्यादती ही की है.

पैट्रिआर्की का महिलाओं के साथ किया गया दुर्व्यवहार हम सभी जानते हैं: उन्हें परदे में रखना, पढ़ने और बढ़ने के समान अवसर न देना, बाल विवाह करवाना, घर के भीतर ही क़ैद रखना वगैरह. हालांकि इन बातों में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है, महिलाओं की स्थिति धीमे ही सही, सुधर रही है. लेकिन पितृसत्ता ने पुरुषों के साथ जो दुर्व्यवहार किया है, उसमें अब भी बहुत ज़्यादा बदलाव आया नहीं दिखता. ये दुर्व्यवहार है पुरुषों को ज़रूरत से ज़्यादा कठोर होने का पाठ पढ़ाना, उनके भीतर की कोमल भावनाओं का दमन करना, उन्हें अपनी भावनओं तक को व्यक्त न करने देना.

जी हां, आपने कई बार बेटों के माता-पिता को यह कहते सुना होगा- ‘क्या लड़कियों की तरह रो रहा है?’, ‘मर्दों को कठोर होना चाहिए.‘, ‘लड़के हो कर भावुक हो रहे हो?’ और सबसे ज़्यादा कहा जाने वाला यह फ़िल्मी डायलॉग- ‘मर्द को दर्द नहीं होता.’. ऐसी कितनी ही बातें छोटे लड़कों, युवकों और पुरुषों को बोली जाती हैं, जिसकी वजह से वे कठोरता का अभिनय करते-करते कब अपने भीतर की संवेदनशीलता खो देते हैं, उन्हें ख़ुद भी मालूम नहीं होता. और यह तो आप भी मानेंगे कि अपनी भावनाओं को व्यक्त न कर पाना, संवेदनशीलता को खो देना, पुरुषों को रूखा बना देता है.

अत: जब बात पैरेंटिंग की हो तो आज के पैरेंट्स को अपने बच्चों को जेंडर न्यूट्रल तरीक़े से बड़ा करना चाहिए, ताकि वे ज़्यादा संवेदनशील और भावनात्मक रूप से सुदृढ़ बन सकें और ये दुनिया एक ऐसी जगह बन सके, जहां लोग एक दूसरे की भावनाओं की क़द्र करें, एक-दूसरे के साथ स्नेह और सम्मान से पेश आएं.

इन्हें भीपढ़ें

include-kids-during-festivals

त्यौहारों के दौरान बच्चों को अपनी संस्कृति से मिलवाते चलें

October 25, 2022
radha-krishna

प्राचीन भारत में स्त्री-पुरुष के रिश्ते: सेक्स टैबू नहीं था फिर कैसे रिश्तों के बीच पितृसत्ता आ गई?

October 16, 2022
savitri-satyavan

प्राचीन भारत में स्त्री-पुरुष के रिश्ते: तब सेक्स समाज के लिए कोई टैबू नहीं था!

October 15, 2022
responsible parenting

बच्चों को उम्र के अनुसार ज़िम्मेदारियां देना उनके विकास के लिए ज़रूरी है!

September 17, 2022

क्या है जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग?
आपकी संतान लड़का हो या लड़की, उनकी परवरिश इस तरह करना कि वे महिला और पुरुष के लिए बनी-बनाई लीक से हट कर सामने वाले व्यक्ति को एक इंसान के तौर पर सम्मान और जगह दे यही जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग का मूल मंत्र है. जेंडर स्टीरियोटाइप में जहां हमने लड़कों के लिए नीला, लड़कियों के लिए गुलाबी रंग तय कर दिया है; लड़कों के खेलने के लिए कार, आउटडोर गेम्स और लड़कियों के खेलने के लिए किचन सेट, गुड़िया या इनडोर गेम्स तय कर दिए हैं; लड़कों के लिए पहले ड्राइविंग सीखना और लड़कियों के लिए पहले किचन का काम सीखना तय कर दिया है, इस तयशुदा फ़ॉर्मूले से परे जा कर उनकी परवरिश करना ही जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग है.
यहां आप अपने बच्चे को यह सिखाते हैं कि कोई रंग, कोई काम और कोई भावना किसी ख़ास लिंग यानी जेंडर के लिए नहीं होती. किसी भी जेंडर का बच्चा खुल कर रो सकता है, खुल कर हंस सकता है, अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता है, किचन के काम कर सकता है, इनडोर या आउटडोर गेम्स खेल सकता है, ड्राइविंग सीख सकता है! कुल मिला कर यह कि कोई भावना या काम जेंडर स्पेसिफ़िक नहीं होता

क्या हैं इसके फ़ायदे?
इसका सबसे बड़ा फ़ायदा तो यह है कि कोई भी काम किसी भी एक जेंडर के ऊपर लाद नहीं दिया जाएगा, बच्चे अपनी रुचि के अनुसार कोई भी काम चुन सकेंगे, वे ख़ुद को बेहतर और दूसरे को कमतर नहीं मानेंगे. जहां लड़कों को किचन में काम करना सामान्य लगेगा, वहीं लड़कियों को घर से बाहर जा कर काम करने में कोई हिचक नहीं होगी. जब सभी लोग सभी तरह के काम करने लगेंगे तो वे उन कामों में लगने वाली मेहनत, समय और ऊर्जा से वाक़िफ़ रहेंगे. एक-दूसरे की स्थितियों और समस्याओं को बेहतर तरीक़े से समझ सकेंगे. एक-दूसरे का सपोर्ट करने की कोशिश करेंगे, संवेदनशील बनेंगे. हर काम और उस काम को करने वाले का सम्मान करेंगे. अपनी भावनाओं को साझा कर सकेंगे. एक-दूसरे को बिल्कुल वैसा ही स्वीकार कर सकेंगे, जैसे कि वो हैं. इस सब से हम सभी का तनाव कम होगा और यह धरती रहने के लिए एक ऐसी जगह बनेगी, जहां लड़के, लड़कियों, ट्रांस्जेंडर्स, होमोसेक्शुअल्स, लेस्बियन्स सभी को मनुष्य के तौर पर नई पहचान मिलेगी, सम्मान मिलेगा.

जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग के कुछ तरीक़े जानें
अब यदि आप भी यह सोच रहे हैं कि यह संकल्पना वाक़ई अच्छी है और मैं अपने बच्चे की परवरिश इसी ढंग से करना चाहता/चाहती हूं तो यहां पेश हैं जेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंग के कुछ सामान्य तरीक़े:

1. ख़ुद को बदलें: जी हां, पहला काम तो आपको यही करना होगा. आप आजकल के बच्चों को केवल भाषण या प्रवचन दे कर कुछ भी नहीं सिखा सकते. वे आपके काम देख कर सीखेंगे, तब सीखेंगे जब आप उनके सामने उदाहरण प्रस्तुत करेंगे. अत: सबसे पहले अपने घर में ऐसा माहौल तैयार करें, जो उन्हें जेंडर न्यूट्रल होना सिखाए. यदि आप वर्किंग पैरेंट्स हैं तो वीकएंड पर खाना या नाश्ता पति तैयार कर सकते हैं. बच्चे को स्कूल छोड़ने के लिए मां ड्राइव कर सकती हैं. बच्चा बस तक जाता है तो सप्ताह में कुछ दिन मां और कुछ दिन पिता उसे बस तक ड्रॉप कर सकते हैं. वीकडेज़ पर पति अपनी पत्नी की मदद करें, जिसे बच्चा देखे और सीखे कि कोई भी काम जेंडर स्पेसिफ़िक नहीं होता.

2. कहानियों को बदलें: बच्चों को बजाय परीकथाएं सुनाने के ऐसी रीयल लाइफ़ स्टोरीज़ सुनाएं, जो उन्हें इस बात की प्रेरणा दें कि लड़का हो या लड़की वे कोई भी काम कर सकते हैं. मसलन, कल्पना चावला की कहानी-जो अंतरिक्ष में गईं; ऐसे पुरुष शेफ़्स की कहानियां, जिनके हाथों का खाना बेहद पसंद किया जाता है; महिला वैज्ञानिकों की कहानियां, सफल पुरुष डॉक्टर्स की कहानियां; इंदिरा गांधी की कहानी, जो हमारे देश की प्रधानमंत्री थीं… ऐसी रीयल लाइफ़ स्टोरीज़, जो यह बात उनके भीतर तक गहरे बिठा दें कि यदि हम फ़ोकस्ड रहें तो जो काम करना चाहते हैं, उसे कर सकते हैं, इसमें हमारा जेंडर कोई मायने नहीं रखता. साथ ही, उन्हें संवेदनशीलता की कहानियां भी सुनाइए, ताकि वे हर इंसान और यहां तक कि पशु-पक्षी व पेड़-पौधों के प्रति भी संवेदनशील बनें.

3. बच्चे को हर काम सिखाएं: बच्चों को जेंडर न्यूट्रल होना सिखाना है तो यह सबसे ज़्यादा काम की बात है. लड़का हो या लड़की उसे हर तरह के काम सिखाएं: खाना पकाना, ताकि वह अपने भोजन के लिए किसी पर निर्भर न रहे; साफ़-सफ़ाई, ताकि वह स्वस्थ रह सके; ख़ुद की रक्षा करना, ताकि वक़्त पड़ने पर वह ख़ुद को सुरक्षित रख सके; गाड़ी चलाना, ताकि वह कम्यूटिंग के लिए भी किसी पर निर्भर न रहे. हर तरह का काम सिखा कर आप अपने बच्चे को आत्मनिर्भर बनाएंगे और यह गुण ताउम्र उसके काम आएगा.

4. खिलौनों पर ध्यान दें: यह भी ध्यान रखें कि जो खिलौने आप उन्हें देते हैं, वे जेंडर स्पेसिफ़िक न हों. यदि आपका बेटा है तो आप उसे कार ही न दें, किचन सेट भी दें और यदि बेटी है तो उसे गुड़िया ही न दें, बल्कि क्रिकेट किट भी दें. इसी तरह उन्हें विशेष रंगों के कपड़े न पहनाएं. अपने बेटे को कभी गुलाबी टी-शर्ट पहना कर देखें, आपको उस पर स्नेह उमड़ आएगा और बेटी ब्लू फ्रॉक में पिंक फ्रॉक से कहीं ज़्यादा प्यारी लगेगी.

5. इस प्रक्रिया को लगातार जारी रखें: बच्चों को जेंडर न्यूट्रल तरीक़े से बड़ा करना एक दिन में ही पूरा नहीं होगा. यह लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया है. आप भले ही अपने बच्चे को जेंडर न्यूट्रल तरीक़े से बड़ा कर रहे हों, ज़रूरी नहीं कि और लोग भी ऐसा करेंगे. ऐसे में जब कभी दुनिया के लोगों का व्यवहार देख कर आपका बच्चा आपसे कोई सवाल पूछे तो आप उसे बताएं कि क्यों आप उसे जेंडर न्यूट्रल वे में बड़ा कर रहे हैं. उसके सवालों के जवाब दें और अपने तर्कों से उसे बताएं कि जेंडर न्यूट्रल होना एक समावेश करने वाले समाज को बनाने की पहल है, ताकि यह धरती और भी बेहतर जगह बन सके.

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

Tags: gender neutral parentinggender rulesgender stereotypeParentingpatriarchyजेंडर न्यूट्रल पैरेंटिंगजेंडर रूल्सजेंडर स्टीरियोटाइपपरवरिशपितृसत्तात्मकतापैट्रिआर्कीपैरेंटिंग
शिल्पा शर्मा

शिल्पा शर्मा

पत्रकारिता का लंबा, सघन अनुभव, जिसमें से अधिकांशत: महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कामकाज. उनके खाते में कविताओं से जुड़े पुरस्कार और कहानियों से जुड़ी पहचान भी शामिल है. ओए अफ़लातून की नींव का रखा जाना उनके विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन, पत्रकारिता के अनुभव, दोस्तों के साथ और संवेदनशील मन का अमैल्गमेशन है.

Related Posts

divorce
ज़रूर पढ़ें

तलाक़ शादी का अंत है, जीवन का नहीं – यहां जानें नई शुरुआत के तरीक़े

September 2, 2022
जी हां, युवक भी होते हैं लिंग भेद और स्टीरियोटाइप के शिकार
प्यार-परिवार

जी हां, युवक भी होते हैं लिंग भेद और स्टीरियोटाइप के शिकार

August 24, 2022
टिप्स, जो आपके बच्चे को अच्छी नींद पाने में कारगर होंगे
पैरेंटिंग

टिप्स, जो आपके बच्चे को अच्छी नींद पाने में कारगर होंगे

August 16, 2022
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist