आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा अटपटा सवाल है, लेकिन आपको बता दें कि यह सवाल पूछा है, क्योंकि इसकी बड़ी वाजिब वजह है. इन दिनों लोगों में अपने जेनिटल्ज़ को लेकर दीवानगी इतनी बढ़ गई है कि वे इसे अपने चेहरे की ही तरह फ़ोटोजेनिक बनाना चाहते हैं! पर क्या वाक़ई इसकी ज़रूरत है? इस बारे में वीवॉक्स के संस्थापक संगीत सेबैस्टियन हमें और जानकारी दे रहे हैं.
ऐतिहासिक शख़्सियतों के जननांग यानी जेनिटल्ज़ पुराने समय में इकट्ठा करके रखने जैस सामान साबित हो चुके हैं. फ्रेंच मिलिट्री लीडर नेपोलियन बोनपार्ट के पीनिस (लिंग) को उनकी मृत्यु के बाद उनके शव की ऑटोप्सी करने वाले डॉक्टर ने निकालकर रख लिया था.
अब आप ज़्यादा मत सोचिए, उन्होंने ऐसा इसलिए तो बिल्कुल नहीं किया था, क्योंकि नेपोलियन का पीनिस अच्छा नज़र आता था. टाइम मैग्ज़ीन की मानें तो यह,‘’किन्हीं ख़राब हो चुके जूतों पर बंधे शूलेस या फिर झुर्री वाली ईल (सर्प मछली) की तरह दिखाई देता था.’’
डिज़ाइनर जेनिटल्ज़?
पर मज़े की बात ये है कि आज जीवित लोगों में से कई लोग यह बात सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि वे अपने पीछे ‘‘अच्छे दिखनेवाले जेनिटल्ज़’’ छोड़ जाएं. रोज़ाना सैकड़ों की संख्या में पुरुष और महिलाएं डॉक्टर्स के पास इस बात के लिए चक्कर लगा रहे हैं कि उनके जननांगों यानी सेक्शुअल ऑर्गन्स का आकार और बनावट सुधार दिया जाए. बहुत सारे भारतीय युवाओं में प्रचलित इस क्रेज़ का एक अच्छा ख़ासा नाम भी है: कॉस्मेटिक गायनाकोलॉजी.
बहुत से डॉक्टर्स जो इस तरह की यानी डिज़ाइनर जेनिटल्ज़ की सेवाएं देते हैं नैतिकता और इस प्रक्रिया से अपने क्लाइंट्स को होने वाले फ़ायदे के बीच की पतली सी रेखा पर संतुलन साधकर चलते हैं. इसकी वजह यह है कि ज़्यादातर पीनिस, वल्वाज़ या वजाइना में कुछ ग़लत या कोई असामान्यता होती ही नहीं है. वे एक दूसरे से अलग दिखने के लिए बने हैं और इसलिए अलग-अलग आकार और आकृतियों में हमारे पास हैं. वे कैसे दिखते हैं इस बात का उनकी सेक्शुअल कार्यप्रणाली या सेक्शुअल प्रदर्शन से कोई लेना-देना ही नहीं होता, जब तक कि आपको उसमें कोई जैविक विकृति या कोई अन्य चिकित्सकीय समस्या नहीं है.
साथ ही, कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं से कोई ज़रूरी नहीं कि आपको अच्छे नतीजे ही मिलें, बल्कि यह नुक़सानदेह भी साबित हो सकता है. बावजूद इसके लोग इस तरह का जोखिम उठाना चाहते हैं.
फ़ोटोजेनिक जेनिटल्ज़!
हम ऐसे दौर में रह रहे हैं, जहां हर कोई अपने निजी अंगों को इतना फ़ोटोजेनिक बना देना चाहता है, जितना कि उनका चेहरा है. क्या आपको याद है कि कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के मंत्री महोदय ने राज्य सरकार की निधि से बन रहे ब्रेस्ट और कॉस्मेटिक इम्पलान्ट प्रोग्राम की शुरुआत करते हुए कहा था, ‘‘यदि हम उन्हें (लोगों को) इस तरह के अवसर उपलब्ध नहीं कराएंगे तो वे इसके लिए ख़तरनाक तरीक़ों का सहारा लेंगे या फिर लोन लेंगे.’’ जिसे समाजवाद के उदाहरण की तरह पेश करते हुए कुछ लोगों ने ये सवाल भी उठाए थे, ‘‘ग़रीबों को ब्यूटी ट्रीटमेंट क्यों नहीं मिलना चाहिए?‘‘ मुझे लगता है कि यह जानकर नेपोलियन अपनी क़ब्र में बेचैन हो रहे होंगे.
इस क्रेज़ की वजह यहां मिलेगी
तो ‘मेरे जेनिटल्ज़ सबसे बेहतर दिखें’ इस दीवानगी के पीछे आख़िर क्या कारण है? और जो डॉक्टर्स ऐसे प्रोसीजर के लिए अपने क्लाइंट्स की इस तरह की मांग से सहमत हो जाते हैं, उनके सामने किस तरह की नैतिक चुनौतियां आती होंगी? यह जानने के लिए मैंने डॉक्टर सरिता नायक से बात की, जो एक प्रसिद्ध यूरोगायनाकोलॉजिस्ट और वीवॉक्स की एक्स्पर्ट हैं, वे एक प्रशिक्षित सेक्सोलॉजिस्ट भी हैं.
डॉक्टर नायक कहती हैं,‘‘एक डॉक्टर के लिए यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि उसका क्लाइंट कॉस्मेटिक प्रोसीजर क्यों करवाना चाहता है? इस बात की क्या ज़रूरत है? इस बात का पता ध्यान से उनकी काउंसलिंग करने के बाद ही चल पाता है. काउंसलिंग के दौरान हम उनकी साइकोलॉजिकल, साइकियाट्रिक और बॉडी इमेज को लेकर उनकी सोच जैसी बातों पर भी ध्यान देते हैं. समझते हैं कि वे अपने अंगों को कमतर क्यों मानते हैं.’’
वे बताती हैं,‘‘केवल महिलाएं ही ऐसी नहीं हैं, जो अपने जेनिटल्ज़ को किसी ख़ास तरह का दिखाना चाहती हैं, बल्कि पुरुषों में भी इस बात की चाहत होती है. महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने जेनिटल्ज़ को किसी वस्तु की तरह देखने लगे हैं और इस बात का पूरा श्रेय पॉर्नोग्राफ़ी को जाता है. आज 10 में 8 पुरुष इस चाहत के साथ हमसे पूछताछ करते हैं कि वे अपने पीनिस का आकार बढ़वाना चाहते हैं, तब मैं उन्हें यह बताती हूं कि मैं केवल महिलाओं को ही देखती हूं.
‘‘और ऐसा भी नहीं है कि वे मेरे क्लिनिक में आते हैं और सीधे ही कॉस्मेटिक प्रोसीजर के बारे में पूछताछ करने लगते हैं. वे बहुत गोपनीयता भी बरतना चाहते हैं. और बाद में वे यह भी बताते हैं कि उनके साथी चाहते हैं कि उनके जेनिटल्ज़ पर्फ़ेक्ट नज़र आएं. ऐसी अवास्तविक सी उम्मीदों के साथ आने वालों की किसी तरह की सर्जरी नहीं की जा सकती, यह बात हम अपने क्लाइंट्स को पहले ही साफ़-साफ़ बता देते हैं. कॉस्मेटिक गायनाकोलॉजी के ज़रिए आप अपनी टूटी हुई शादी को फिर से ठीक नहीं कर सकते. आजकल कई नए-नवेले शादीशुदा जोड़ों की यही सबसे बड़ी समस्या है!’’
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