किसी भी युवक/युवती के लिए हस्तमैथुन (मैस्टर्बेशन) एक बेहद सामान्य और सेहतमंद प्रक्रिया है, लेकिन यदि आप पुरुष हैं तो आपको एक तरह का मैस्टर्बेशन बिल्कुल नहीं करना चाहिए और वो है- प्रोन मैस्टर्बेशन. आपको इसके बारे में एक्स्पर्ट से मिली सही जानकारी पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन समस्या ये है कि हमारे यहां ऐसे ऐक्स्पर्ट्स भी कम संख्या में हैं, जिन्हें इसके बारे में जानकारी हो. अत: हम आपको इस बारे में रिसर्च कर चुके अमेरिका के एक्स्पर्ट डॉक्टर से बात करते हुए बता रहे हैं कि क्या हैं पुरुषों के लिए प्रोन मैस्टर्बेशन के ख़तरे.
यह बिल्कुल सच है कि हस्तमैथुन यानी मैस्टर्बेशन किसी भी युवक/युवती के लिए सामान्य और सेहतमंद प्रक्रिया है, लेकिन यदि आप पुरुष हैं तो आपको प्रोन मैस्टर्बेशन से बचना चाहिए. अब आप पूछेंगे कि प्रोन मैस्टर्बेशन क्या है? तो आपको बता दें कि यह मैस्टर्बेशन का एक ऐसा प्रकार है, जिसे बहुत ही कम पुरुष (पूरी दुनिया में लगभग 10%) प्रैक्टिस करते हैं, इसे बिस्तर पर प्रोन (चेहरा नीचे की ओर यानी उल्टे/औंधे हो कर) पोज़िशन में किया जाता है, जिससे पीनिस पर दबाव पड़ता है.
बहुत से पुरुष जो इस पोज़िशन में मैस्टर्बेशन करते हैं, उन्हें लगता है कि सामान्य तरीक़े की तुलना में मैस्टर्बेशन का यह तरीक़ा बहुत समझदारीभरा और आसान है. कई लोगों को यह भी लगता है प्रोन मैस्टर्बेशन बिल्कुल मिशनरी स्टाइल इंटरकोर्स की तरह है और ऐसा करने से उन्हें अपने पार्टनर के साथ सेक्स करने की ट्रेनिंग मिल रही है, लेकिन यह सच्चाई नहीं है!
प्रोन मैस्टर्बेशन आपकी भविष्य की सेक्स लाइफ़ के लिए उतना ही उपयोगी है, जितना की पत्राचार पाठ्यक्रम यानी कॉरेस्पॉन्डेंस कोर्स से तैराकी (स्विमिंग) सीखना. दरअसल, ये उससे भी बुरा है, क्योंकि लंबे समय तक लगातार, बिना कोई बदलाव लाए, केवल प्रोन पोज़िशन तकनीक से मैस्टर्बेशन करते रहने से आप अपने पार्टनर के साथ सामान्य तरीक़े से सेक्स करने के क़ाबिल ही नहीं रह जाएंगे.
इस बारे में आपको कोई नहीं बताएगा
अब चूंकि मैस्टर्बेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके बारे में कोई किसी को सिखाता नहीं है, बल्कि ये तो ख़ुद ही खोजकर सीखी जाती है या यूं कहें कि सेल्फ़-डिस्कवरी होती है तो जो लोग प्रोन तकनीक खोज निकालते हैं, वो इसी की प्रैक्टिस करते रहते हैं, जीवनभर (उनके पार्टनर को भी इसकी ख़बर नहीं होती!), जब तक उन्हें इसके नुक़सान के बारे में जागरूक न किया जाए, जिसकी संभावना बहुत ही कम है, क्योंकि हमारे देश के अधिकतर ’’क़ाबिल डॉक्टर्स’’ तो प्रोन पोज़िशन मैस्टर्बेशन की मौजूदगी के बारे में जानते भी नहीं है!
प्रोन मैस्टर्बेशन कई शादियों के मुक़म्मल (सेक्शुअल इंटरकोर्स वाले रिश्ते) न होने पाने के पीछे की मुख्य वजह भी है, क्योंकि वे पुरुष, जो केवल प्रोन मैस्टर्बेशन का ही अभ्यास करते हैं, उन्हें पेनेट्रेशन के लिए पर्याप्त इरेक्शन हो ही नहीं पाता. और चूंकि आपके पीनिस पर चोट या सूजन जैसे कोई निशान भी नहीं होते तो डॉक्टर्स भी इस बात को नहीं समझ पाते कि यह मरीज़ के ग़लत तरीक़े से मैस्टर्बेशन करने की वजह से हो रहा है. नतीजा ये होता है कि विवाहित जोड़े सालों तक बिना इंटरकोर्स वाले रिश्तों से जूझते रहते हैं और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं, जबकि उन्हें इसके पीछे की ‘‘सही’’ वजह पता ही नहीं होती.
इसके बारे में कब पता चला?
इस बारे में 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली सेक्स रिसर्चर अल्फ्रेड किन्सी ने सबसे पहले बताया कि प्रोन मैस्टर्बेशन पुरुषों द्वारा बहुत कम इस्तेमाल किया जानेवाला मैस्टर्बेशन मैथड है, जो शायद इसलिए ईजाद किया गया कि ख़ुद को आनंद पहुंचाने की क्रिया यानी मैस्टर्बेशन की धार्मिक निंदा की जाती थी.
बाद में वर्ष 1978 में अपनी किताब मेल सेक्शुऐलिटी में डॉ बर्नी ज़िल्बर्गेल्ड ने इसे इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन और ऐनॉर्गैज़्मिया (आर्गैज़्म या चरम तक पहुंचने में असमर्थता) से जोड़ा. वर्ष 1998 में अमेरिका के सेक्स थैरेपिस्ट डॉ लॉरेंस आई सैंक ने प्रोन मैस्टर्बेशन के ख़तरों पर आधारित एक आर्टिकल लिखा था, जो जर्नल ऑफ़ सेक्स ऐंड मैरिटल थेरैपी में छपा था. डॉ सैंक वीवॉक्स के फ़ाउंडर मेम्बर भी हैं.
डॉ सैंक पिछले चार दशकों से से मेल सैक्शुऐलिटी और सेक्शुअल डिस्फ़ंक्शन्स पर अध्यनन कर रहे हैं और लोगों का इलाज कर रहे हैं. उन्होंने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, बॉस्टन से अपनी क्लीनिकल ट्रेनिंग वर्ष 1970 के शुरुआती वर्षों में की थी. उनके इस आर्टिकल के छपने के बाद ‘‘प्रोन मैस्टर्बेशन’’ टर्म को इंटरनेट पर सर्च किया जाने लगा. इसके बाद इस पर कई और अध्ययन हुए और डॉक्टर्स व नामचीन सेक्स सलाहकारों ने भी इस बात की तस्दीक की है कि यह पुरुषों के लिए ख़तरनाक है.
लेकिन आज भी कई लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं, इन सज्जन की तरह, जिन्होंने वीवॉक्स क्लीनिक में अपना यह सवाल भेजा है कि प्रोन मैस्टर्बेशन से जुड़ी बातों में कितनी सच्चाई है? क्या वे फ़ेक हैं?
जानिए एक्स्पर्ट का जवाब
इस बारे में हमने 75 वर्षीय डॉक्टर लॉरेंस आई सैंक से बात की, जो इस रिसर्च के अगुआ हैं. डॉ सैंक ने हमें बताया,‘‘यह बात बिल्कुल सही है! प्रोन पोज़िशन में मैस्टर्बेशन से पीनिस पर बहुत प्रेशर आता है, ख़ासतौर पर इसके निचले हिस्से यानी बेस पर. जबकि सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान ये संसेशन्स नहीं आते और सामान्य मैस्टर्बेशन के दौरान भी ऐसा नहीं होता. इसकी वजह से प्रोन पोज़िशन में मैस्टर्बेट करने वाले पुरुष इरेक्शन को लंबे समय तक बरक़रार नहीं रख पाते, जिससे पार्टनर के साथ सेक्स करना उनके लिए संभव नहीं हो पाता.
इस समस्या को सुलझाने का एक तरीक़ा ये है कि आप सही तरीक़े से मैस्टर्बेट करना सीखें. हाथ का इस्तेमाल करते हुए मैस्टर्बेशन करना सेक्शुअल इंटरकोर्स की तरह होता है और यह किसी भी अन्य विधि की तुलना में इंटरवजाइनल वातावरण जैसी ही उत्तेजना देता है. पीनिस और हाथ स्वाभाविक रूप से साथ-साथ चलते हैं और हम मानव इसी तरीक़े के लिए डिज़ाइन्ड हैं.
सेक्स एक स्वाभाविक या जन्मजात कौशल नहीं है, बल्कि यह सीखा जानेवाला कौशल है. यदि किसी व्यक्ति को बताया जाए कि मैस्टर्बेशन सामान्य है और इसमें शर्मिंदगी जैसी कोई बात नहीं है तो वह इसकी ग़लत तकनीक को नहीं अपनाएगा. वैसे भी मैस्टर्बेशन को हस्तमैथुन या हैंड जॉब कहा जाता है अत: यदि शब्दों पर ध्यान दिया जाए तो यह अपने आप में ही अपनी परिभाषा को गढ़ता है!
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट