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अनूठी, अलौकिक शांति से भरी होती हैं ऑकलैंड की सुबहें

डॉ दीप्ति गुप्ता by डॉ दीप्ति गुप्ता
February 13, 2021
in ट्रैवल, लाइफ़स्टाइल
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अनूठी, अलौकिक शांति से भरी होती हैं ऑकलैंड की सुबहें
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किसी भी शहर की बहुसांस्कृतिक शक्ति में वहां के निवासियों और उनके लिए यातायात के साधनों के बढ़ते हुए सामाजिक असर का बड़ा योगदान होता है, जो उसे उत्तरोत्तर समृद्ध बनाता है. ऐसा ही ऑकलैंड के साथ हुआ. प्रशान्त द्वीपवासियों की ज़मीनी सभ्यता और संस्कृति व देसी लोगों के सघन प्रभाव के साथ-साथ बीसवीं सदी के शुरुआती दौर से मध्य काल तक, ट्रामों और रेलवे लाइंस ने ऑकलैंड को गति से हर दिशा में फैलाया.

अगले सप्ताह मैं मानसी और उसके दूसरे ‘मित्र परिवार’ के साथ म्यूज़ियम व बौटेनिकल गार्डन देखने गए. हम अच्छा मौसम देखकर, रोज़ एक नए स्थान पर जाते और बीच में लंच खा लेते और फिर दर्शनीय स्थलों को देखने में मशगूल हो जाते. ऑकलैंड में अनेक म्यूज़िम हैं. जो काफ़ी विशालकाय हैं. उनको देखने और समझने के लिए एक म्यूज़ियम के लिए कम से कम, दो-तीन दिन तो चाहिए ही. War Memorial Museum, Auckland Art Gallery, Transport Museum, Maritime Museum आदि ऑकलैंड और न्यूज़ीलैंड के इतिहास व रोचक जानकारियों के अद्भुत स्रोत हैं.
युद्ध और संघर्ष: ‘वॉर मेमोरियल म्यूज़ियम’ में लगी युगों पुरानी विशाल तस्वीरों और उनके नीचे लगी लिखित सूचनाओं को पढ़कर, मैंने जाना कि 1848 में, जब तक प्रथम रंगरूट/फ़ौजी (Fencibles) पहुंचे, तब तक उत्तर में विद्रोही समूह हार चुके थे. तब तक ख़ाके पर तैयार सुरक्षा नगरों का निर्माण दक्षिण की ओर हो चुका था, जो पश्चिम में ‘ओनेहंगा’ के बन्दरगाह गांव से लेकर, पूर्व में ‘हौविक’ तक फैला हुआ था. चारों सुरक्षा स्थलों पर, प्रत्येक पर 800 निवासी थे, पुरुष किसी भी आपातकाल के लिए सशस्त्र तैयार रहते थे, लेकिन आपातकाल न होने पर, वे अपने समय का ज़मीन खोदने और सड़कें बनाने में सदुपयोग करते थे. वर्ष 1860 की शुरुआत में ऑकलैंड फिर से एक बार माओरी राजा के विरोध में युद्ध का प्रमुख आधार स्थल बना. जो बारह हज़ार इम्पीरियल सैनिक वहां तैनात थे, उनके आगमन से स्थानीय वाणिज्य-व्यापार की बहुत प्रगति हुई. इस वजह से और साथ ही दक्षिणी हिस्से में “वैकाटो” में चल रहे सड़क निर्माण कार्य की वजह से भी पाकेहा निवासियों का (यूरोपियन लोगों का) ऑकलैंड में प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ. फलस्वरूप शहर की आबादी गति से बढ़ी. आबादी की बढ़ोतरी, व्यापार आधारित नगरों के समान हुई, मुख्य रूप से बन्दरगाह पर और उसके आसपास, चारों ओर, जिससे भीड़ की अधिकता और प्रदूषण की समस्याएं भी जन्मी.

आबादी और आर्थिक विकास: ऑकलैंड में पूर्व-सैनिकों की आबादी अन्य स्थानों की आबादी की तुलना में बहुत अधिक थी. उनमें 50% आयरिश थे, जो वैलिंगडन, क्राइस्ट चर्च और प्लेमाउथ में बसे हुए, अधिकतम ब्रिटिश निवासियों से विपरीत मानसिकता वाले थे. शुरुआती अवधि में नए आने वाले अधिकांश लोगों को सस्ते मार्ग से न्यू ज़ीलैंड में प्रवेश करने में भारी मदद मिली. किसी भी शहर की बहुसांस्कृतिक शक्ति में वहां के निवासियों और उनके लिए यातायात के साधनों के बढ़ते हुए सामाजिक असर का बड़ा योगदान होता है, जो उसे उत्तरोत्तर समृद्ध बनाता है. ऐसा ही ऑकलैंड के साथ हुआ. प्रशान्त द्वीपवासियों की ज़मीनी सभ्यता और संस्कृति व देसी लोगों के सघन प्रभाव के साथ-साथ बीसवीं सदी के शुरुआती दौर से मध्य काल तक, ट्रामों और रेलवे लाइंस ने ऑकलैंड को गति से हर दिशा में फैलाया. समय के साथ-साथ प्रमुख सड़कों, मोटर वाहनों के रास्तों और भौगोलिक रूप से शहरी परिदृश्य को अधिक स्पष्ट और सहज भागों में व्यवस्थित कर दिया गया. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, शहर की यातायात व्यवस्था और नगरीय आकार लगातार बढ़ते हुए मोटर वाहनों वाले हो गए. इतना ही नहीं, इससे आगे चल कर भी बहुत अधिक विस्तार हुआ, जिसने 1950 में ‘ऑकलैंड हार्बर ब्रिज’ के बनने के बाद ‘उत्तरी किनारे’ और दक्षिण में ‘मानुकाऊ’ शहर जैसे नगरीय क्षेत्रों के विस्तार को अंजाम दिया.
वर्ष 1980 के मध्य में आर्थिक अविनियमन (deregulation) के तहत नियमों में ढील ने ऑकलैंड की आर्थिक स्थिति में आश्चर्यजनकरूप से इजाफ़ा किया कि अनेक कम्पनियों ने अपने मुख्यालय वैलिंगडन से ऑकलैंड तक स्थापित किए, जिससे यह इलाका राष्ट्रीय अर्थ (Economy) की नब्ज़ बन गया. पर्यटन के उत्थान से भी ऑकलैंड को बहुत अधिक लाभ हुआ, जिसके कारण न्यूज़ीलैंड में आने वाले सैलानियों का पचहत्तर प्रतिशत, ऑकलैंड हवाई अड्डे से आता था. साथ ही 2015 में देश का कन्टेनर व्यापार का इक्कत्तीस प्रतिशत भी ऑकलैंड हवाई अड्डा ही सम्हालात था. न्यू ज़ीलैंड की सूरत में बड़ा बदलाव तब आया, जब सरकार की ‘आप्रवास’ (Immigration) नीति ने 1986 से एशिया के लोगों को देश में आने दिया. वर्ष 1961 की जनगणना के अनुसार ऑकलैंड की आबादी में माओरी और प्रशान्त द्वीपवासी पांच प्रतिशत ही हुआ करते थे और एशियाई सिर्फ़ एक प्रतिशत. वर्ष 2006 तक ऑकलैंड में एशियाई लोगों की आबादी अठ्ठारह प्रतिशत तक पहुंच गई और सेंट्रल सिटी में छत्तीस प्रतिशत हो गई. हांगकांग, तायवान, और कोरिया से आकर यहां बसने वाले नए लोगों ने अपनी संस्कृति से ऑकलैंड के उस भाग को अलग ही रूपाकार दिया, जहां उनका जमावड़ा था, जबकि अन्य विदेशियों ने छोटी बस्तियों को (सबर्ब्स) अपने मस्ज़िद, हिन्दू मन्दिर, देसी रेस्तरां आदि स्थापित करके एक भिन्न पहचान दी.

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जलवायु और पर्यावरण: इस शहर की जलवायु और पर्यावरण की बात करें तो “कॉपैन जलवायु विभाजन” के अनुसार, ऑकलैंड की “समुद्री जलवायु” है. जबकि राष्ट्रीय संस्थान- जल एवं मौसम अनुसंधान (National Institute of Water & Atmosphere Research- NIWA) के सर्वेक्षण के अनुसार, यह अपने गर्म और चिपचिपे ग्रीष्मकाल और हल्के भीगे सर्दी के मौसम के कारण उपोष्णकटिबंधीय (Subtropical) जलवायु की कोटी में आता है. उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु में सर्दियां अपेक्षाकृत गुनगुनी होती हैं, लेकिन गर्मी के मौसम की तरह गर्म नहीं होतीं. यहां शायद ही कभी पाला या बर्फ़बारी देखने को मिली हो. उन मध्य अक्षांशों के विपरीत जिनमें मज़बूत पर्णपाती और शंकुधारी पेड़ हावी रहते हैं, यहां ताड़, नींबू और कई चौड़ी पत्तियों वाले सदाबहार वृक्ष पनपते हैं. उष्णकटिबंधीय पक्ष की ओर रुख़ करने से ज्ञात होता है कि गुलाबी सर्दियों वाला मौसम पूरी तरह ग़ायब हो जाता है, जबकि उप-उष्णकटिबंधों की ध्रुवाभिमुखीय सीमा पर सर्दी ज़्यादा होती हैं. समूचे उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में वर्षा का स्वरूप व्यापक रूप से बदलता है, जैसे- गर्म रेगिस्तान, सवाना, मानसून के जंगलों, नम जंगलों और भूमध्य जलवायु क्षेत्र के गर्म भागों में. यह न्यू ज़ीलैंड के सबसे गर्म और खुली धूप वाले प्रमुख केन्द्र के रूप में जाना जाता है. यहां का अधिकतम तापमान, फ़रवरी में प्रतिदिन 23.7 डिग्री सैल्सियस और जुलाई में 14.7 डिग्री सैल्सियस रहता है. यहां इस तापमान के बावजूद पूरे साल भारी वर्षा होती है.
पिछले 13-14 वर्षों से ऑकलैंड में बसी मेरी बेटी मानसी ने बताया कि यहां वह हिमपात देखने को तरस गई. उसने बताया कि यहां लम्बे समय से बसे लोगों के अनुसार, एक बार जुलाई, वर्ष 1929 में गौर करने लायक बर्फ़ गिरी थी, जिसका आज तक अक्सर उल्लेख होता है. यह बर्फ़ घर से बाहर गए लोगों के कपड़ों पर अटक गई थी और ईडन पर्वत की चोटी पर भी 5 सेन्टी मीटर बर्फ़ की पर्त पाई गई थी. इसके अलावा एक बार, 28 जुलाई, 1930 को भी इस तरह बर्फ़ गिरी थी .
मानसी के सामने 15 अगस्त, 2011 में पतले टुकड़ों के रूप में बर्फ़ गिरी. मानसी ने अपनी डायरी खोल कर बताया कि शोख़ समुद्री हवाओं के चलने की शुरुआत से पहले, मौसम के आगमन पर, स्थलडमरूमध्य पर उतरी शान्ति और ख़ामोशी का उल्लेख वर्ष 1853 में कुछ इस तरह किया गया था-
“सभी ऋतुओं में दिन की ख़ूबसूरती भोर के समय चरम पर होती है. उस मृदुल क्षण में, सुख-सुकून देने वाली एक अलौकिक अनूठी शान्ति समूची प्रकृति को अपने आगोश में लिए होती है.”
वायु प्रदूषण को सख़्त नापसंद करने वाली मानसी ने बाताया किऑकलैंड में पेट्रोल व डीज़ल आदि के बहुत सूक्ष्म कणों के कारण कभी-कभार, हल्का-सा, नाममात्र का वायु प्रदूषण हो जाता है. लेकिन यहां की समुद्री हवाएं प्रदूषण को तेज़ी से समाप्त कर देती हैं, जो कभी-कभी धुंध (Smog) के रूप में देखा जा सकता है- ख़ासतौर से शान्त सर्दियों के दिनों में.

क्रमश:
अगली कड़ी में पढ़िए ऑकलैंड की सभ्यता और संस्कृति के बारे में दिलचस्प जानकारी

फ़ोटो: इन्स्टाग्राम

Tags: AucklandNew ZealandTravelTravelogueऑकलैंडट्रैवलट्रैवलॉगन्यू ज़ीलैंडन्यूज़ीलैंडयात्रायात्रा संस्मरण
डॉ दीप्ति गुप्ता

डॉ दीप्ति गुप्ता

डॉ दीप्ति गुप्ता पूर्व यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय,नई दिल्ली, में राष्ट्रपति द्वारा "शिक्षा सलाहकार" पद पर नियुक्त होकर अपनी सेवाएं भी दे चुकी हैं. वे हिन्दी के साथ अंग्रेज़ी में भी समान अधिकार से लिखती हैं. उनकी अंग्रेज़ी की रचनाएं कई नामचीन पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. उनकी कविताएं विश्व फलक पर चर्चित और पुरस्कृत हो चुकी हैं, विभिन्न देशों की World Poetry Anthology में शामिल होने के साथ-साथ डच, स्पेनिश, रूसी, इटैलियन, पोलिश व जर्मन भाषाओं में उनका अनुवाद भी किया गया है. उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘साहित्य भूषण’ सम्मान, कोलकाता का ‘रवीन्द्रनाथ ठाकुर’ सम्मान, महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी  का  'प्रेमचंद सम्मान' और 'भाषा शिरोमणि' जैसे अनेक सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है.

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