• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब क्लासिक कहानियां

गिरगिट: कहानी इंसानों द्वारा पल-पल रंग बदलने की (लेखक: अंतोन चेखव)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
January 17, 2022
in क्लासिक कहानियां, बुक क्लब
A A
गिरगिट: कहानी इंसानों द्वारा पल-पल रंग बदलने की (लेखक: अंतोन चेखव)
Share on FacebookShare on Twitter

रूसी लेखक अंतोन चेखव की कहानी गिरगिट समाज के दोमुंहेपन, दोगलेपन पर करारा व्यंग्य है. समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, अवसरवादिता, भाई-भतीजावाद, रिश्वतखोरी और अपने पद के दुरुपयोग पर रौशनी डालती है कहानी गिरगिट. भ्रष्ट दारोगा आचुमेलोव द्वारा एक आदमी को कुत्ता काटने की तहक़ीक़ात करते हुए, कुत्ते के मालिक का पता चलते ही गिरगिट की तरह रंग बदलने पर आधारित है.

पुलिस का दारोगा ओचुमेलोव नया ओवरकोट पहने, हाथ में एक बण्डल थामे बाजार के चौक से गुज़र रहा है. लाल बालों वाला एक सिपाही हाथ में टोकरी लिए उसके पीछे-पीछे चल रहा है. टोकरी जब्त की गई झड़बेरियों से ऊपर तक भरी हुई है. चारों ओर ख़ामोशी…चौक में एक भी आदमी नहीं…दुकानों व शराबखानों के भूखे जबड़ों की तरह खुले हुए दरवाज़े ईश्वर की सृष्टि को उदासी भरी निगाहों से ताक रहे हैं. यहां तक कि कोई भिखारी भी आसपास दिखाई नहीं देता है.
“अच्छा! तो तू काटेगा? शैतान कहीं का!” ओचुमेलोव के कानों में सहसा यह आवाज़ आती है. “पकड़ लो, छोकरो! जाने न पाये! अब तो काटना मना है! पकड़ लो! आ…आह!”
कुत्ते के किकियाने की आवाज़ सुनाई देती है. ओचुमेलोव मुड़ कर देखता है कि व्यापारी पिचूगिन की लकड़ी की टाल में से एक कुत्ता तीन टांगों से भागता हुआ चला आ रहा है. एक आदमी उसक पीछा कर रहा है-बदन पर छीट की कलफदार कमीज, ऊपर वास्कट और वास्कट के बटन नदारद. वह कुत्ते के पीछे लपकता है और उसे पकड़ने की कोशिश में गिरते-गिरते भी कुत्ते की पिछली टांग पकड़ लेता है. कुत्ते की कीं-कीं और वही चीख़,“जाने न पाए!” दोबारा सुनाई देती है. ऊंघते हुए लोग गरदनें दुकानों से बाहर निकल कर देखने लगते हैं, और देखते-देखते एक भीड़ टाल के पास जमा हो जाती है मानो ज़मीन फाड़ कर निकल आई हो.
“हुजूर! मालूम पड़ता है कि कुछ झगड़ा-फसाद है!” सिपाही कहता है.
ओचुमेलोव बायीं ओर मुड़ता है और भीड़ की तरफ़ चल देता है. वह देखता है कि टाल के फाटक पर वही आदमी खड़ा है, जिसकी वास्कट के बटन नदारद हैं. वह अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाये भीड़ को अपनी लहूलुहान उंगली दिखा रहा है. उसके नशीले चेहरे पर साफ़ लिखा लगता है,“तुझे मैंने सस्ते में न छोड़ा, साले!” और उसकी उंगली भी जीत का झण्डा लगती है. ओचुमेलोव इस व्यक्ति को पहचान लेता है. वह सुनार ख्रूकिन है. भीड़ के बीचोंबीच अगली टांगें पसारे, अपराधी-एक सफ़ेद ग्रेहाउंड पिल्ला, दुबका पड़ा, ऊपर से नीचे तक कांप रहा है. उसका मुंह नकीला है और पीठ पर पीला दाग है. उसकी आंसू भरी आंखों में मुसीबत और डर की छाप है.
“क्‍या हंगामा मचा रखा है यहां?” ओचुमेलोव कन्धों से भीड़ को चीरते हुए सवाल करता है,“तुम उंगली क्यों ऊपर उठाये हो? कौन चिल्ला रहा था?”
“हुजूर! मैं चुपचाप अपनी राह जा रहा था,” ख्रूकिन अपने मुंह पर हाथ रख कर खांसते हुए कहता है. मित्री मित्रिच से मुझे लकड़ी के बारे में कुछ काम था. एकाएक, मालूम नहीं क्यों, इस कमबख्त ने मेरी उंगली में काट लिया…हुजूर माफ़ करें, पर मैं कामकाजी आदमी ठहरा…और फिर हमारा काम भी बड़ा पेचीदा है. एक हफ़्ते तक शायद मेरी यह उंगली काम के लायक न हो पाएगी. मुझे हरजाना दिलवा दीजिए. और, हुजूर, यह तो क़ानून में कहीं नहीं लिखा है कि ये मुए जानवर काटते रहें और हम चुपचाप बरदाश्त करते रहें…अगर हम सभी ऐसे ही काटने लगें, तब तो जीना दूभर हो जाए…”
“हुंह…अच्छा…” ओचुमेलोव गला साफ़ करके, त्योरियां चढ़ाते हुए कहता है,“ठीक है…अच्छा, यह कुत्ता है किसका? मैं इस बात को यहीं नहीं छोड़ूंगा! यों कुत्तों को छुट्टा छोड़ने का मजा चखा दूंगा! लोग क़ानून के मुताबिक़ नहीं चलते, उनके साथ अब सख्ती से पेश आना पड़ेगा! ऐसा जुरमाना ठोकूंगा कि दिमाग़ ठीक हो जाएगा बदमाश का! फ़ौरन समझ जाएगा कि कुत्तों और हर तरह के ढोर-डंगर को ऐसे छुट्टा छोड़ देने का क्या मतलब है! मैं ठीक कर दूंगा, उसे! येल्दीरिन! सिपाही को सम्बोधित कर दारोगा चिल्लाता है, पता लगाओ कि यह कुत्ता है किसका, और रिपोर्ट तैयार करो! कुत्ते को फ़ौरन मरवा दो! यह शायद पागल होगा…मैं पूछता हूं यह कुत्ता है किसका?”
“यह शायद जनरल झिगालोव का हो!” भीड़ में से कोई कहता है. “जनरल झिगालोव का? हुंह…येल्दीरिन, ज़रा मेरा कोट तो उतारना…ओफ़, बड़ी गर्मी है…मालूम पड़ता है कि बारिश होगी. अच्छा, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि इसने तुम्हें काटा कैसे?” ओचुमेलोव ख्रूकिन की ओर मुड़ता है. “यह तुम्हारी उंगली तक पहुंचा कैसे? यह ठहरा ज़रा सा जानवर और तुम पूरे लहीम-शहीम आदमी. किसी कील-वील से उंगली छील ली होगी और सोचा होगा कि कुत्ते के सिर मढ़ कर हरजाना वसूल कर लो. मैं ख़ूब समझता हूं! तुम्हारे जैसे बदमाशों की तो मैं नस-नस पहचानता हूं!”
“इसने उसके मुंह पर जलती हुई सिगरेट लगा दी, हुजूर! बस, यूं ही मज़ाक़ में. और यह कुत्ता बेवक़ूफ़ तो है नहीं, उसने काट लिया. ओछा आदमी है यह हुजूर!”
“अबे! काने! झूठ क्यों बोलता है? जब तूने देखा नहीं, तो झूठ उड़ाता क्यों है? और सरकार तो ख़ुद समझदार हैं. सरकार ख़ुद जानते हैं कि कौन झूठा है और कौन सच्चा. और अगर मैं झूठा हूं, तो अदालत से फ्रैसला करा लो. क़ानून में लिखा है…अब हम सब बराबर हैं, ख़ुद मेरा भाई पुलिस में है…बताए देता हूं…हां…”
“बन्द करो यह बकवास!”
“नहीं, यह जनरल साहब का नहीं है,” सिपाही गंभीरतापूर्वक कहता है “उनके पास ऐसा कोई कुत्ता है ही नहीं, उनके तो सभी कुत्ते शिकारी पोण्टर हैं.
“तुम्हें ठीक मालूम है?”
“जी, सरकार.”
“मैं भी जानता हूं. जनरल साहब के सब कुत्ते अच्छी नस्ल के हैं, एक से एक क़ीमती कुत्ता हैं उनके पास. और यह! यह भी कोई कुत्तों जैसा कुत्ता है, देखो न! बिल्कुल मरियल खारिश्ती है. कौन रखेगा ऐसा कुत्ता? तुम लोगों का दिमाग़ तो ख़राब नहीं हुआ? अगर ऐसा कुत्ता मास्को या पीटर्सबर्ग में दिखाई दे, तो जानते हो क्या हो? क़ानून की परवाह किए बिना एक मिनट में उसकी छुट्टी कर दी जाए! ख्रूकिन! तुम्हें चोट लगी है और तुम इस मामले को यूं ही मत टालो…इन लोगों को मज़ा चखाना चाहिए! ऐसे काम नहीं चलेगा.”
“लेकिन मुमकिन है, जनरल साहब का ही हो…” कुछ अपने आपसे सिपाही फिर कहता है,“इसके माथे पर तो लिखा नहीं है. जनरल साहब के अहाते में मैंने कल बिल्कुल ऐसा ही कुत्ता देखा था.”
“हां, हां, जनरल साहब का ही तो है!” भीड़ में से किसी की आवाज़ आती है.
“हुंह…येल्दीरिन, ज़रा मुझे कोट तो पहना दो…हवा चल पड़ी है, मुझे सरदी लग रही है…कुत्ते को जनरल साहब के यहां ले जाओ और वहां मालूम करो. कह देना कि इसे सड़क पर देख कर मैंने वापस भिजवाया है…और हां, देखो, यह भी कह देना कि इसे सड़क पर न निकलने दिया करें…मालूम नहीं कितना क़ीमती कुत्ता हो और अगर हर बदमाश इसके मुंह में सिगरेट घुसेड़ता रहा, तो कुत्ता तबाह हो जागा. कुत्ता बहुत नाज़ुक जानवर होता है…और तू हाथ नीचा कर, गधा कहीं का! अपनी गन्दी उंगली क्यों दिखा रहा है? सारा कुसूर तेरा ही है…
“यह जनरल साहब का बावर्ची आ रहा है, उससे पूछ लिया जाए. ए प्रोखोर! इधर तो आना भाई! इस कुत्ते को देखना, तुम्हारे यहां का तो नहीं है?”
“अमां वाह! हमारे यहां कभी भी ऐसे कुत्ते नहीं थे!”
“इसमें पूछने की क्या बात थी? बेकार वक़्त ख़राब करना है,” ओचुमेलोव कहता है,“आवारा कुत्ता है. यहां खड़े-खड़े इसके बारे में बात करना समय बरबाद करना है. कह दिया न आवारा है, तो बस आवारा ही है. मार डालो और काम ख़त्म!”
“हमारा तो नहीं है,” प्रोखोर फिर आगे कहता है,“पर यह जनरल साहब के भाई साहब का कुत्ता है. उनको यह नस्ल पसन्द है…”
“क्‍या? जनरल साहब के भाई साहब आए हैं? व्लीदीमिर इवानिच?” अचम्भे से ओचुमेलोव बोल उठता है, उसका चेहरा आह्लाद से चमक उठता है.
“ज़रा सोचो तो! मुझे मालूम भी नहीं! अभी ठहरेंगे क्या?”
“हां…”
“ज़रा सोचो, वह अपने भाई से मिलने आए हैं…और मुझे मालूम भी नहीं कि वह आए हैं. तो यह उनका कुत्ता है? बड़ी ख़ुशी की बात है. इसे ले जाओ…कुत्ता अच्छा…और कितना तेज़़ है…इसकी उंगली पर झपट पड़ा! हा-हा-हा…बस-बस, अब कांप मत. गुर्र-गुर्र…शैतान ग़ुस्से में है…कितना बढ़िया पिल्ला है…”
प्रोखोर कुत्ते को बुलाता है और उसे अपने साथ ले कर टाल से चल देता है. भीड़ ख्रूकिन पर हंसने लगती है.
“मैं तुझे ठीक कर दूंगा,” ओचुमेलोव उसे धमकाता है और अपना ओवरकोट लपेटता हुआ बाज़ार के चौक के बीच अपने रास्ते चल देता है.

Illustrations: Pinterest

इन्हें भीपढ़ें

यह कहानी नहीं: अव्यक्त प्रेम की प्रेम कहानी (लेखिका: अमृता प्रीतम)

यह कहानी नहीं: अव्यक्त प्रेम की प्रेम कहानी (लेखिका: अमृता प्रीतम)

May 23, 2023
तेरी बातें ही सुनाने आए: अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल

तेरी बातें ही सुनाने आए: अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल

May 19, 2023
भाभी: एक दिलफेंक पति की कहानी (लेखिका: इस्मत चुग़ताई)

भाभी: एक दिलफेंक पति की कहानी (लेखिका: इस्मत चुग़ताई)

May 18, 2023
गुमशुदा: मंगलेश डबराल की कविता

गुमशुदा: मंगलेश डबराल की कविता

May 16, 2023
Tags: 10th Hindi Sparsh storiesAnton ChekhovAnton Chekhov ki kahaniAnton Chekhov ki kahani GirgitAnton Chekhov storiesCBSE 10th Hindi StoriesFamous Indian WriterFamous writers storyGirgitGirgit 10th HindiGirgit by Anton Chekhov in HindiGirgit charitra chitranGirgit StoryGirgit SummaryGirgit SynopsisHindi KahaniHindi KahaniyaHindi StoryHindi writersIndian WritersKahaniKahani Girgitkahani Girgit fullअंतोन चेखवअंतोन चेखव की कहानियांअंतोन चेखव की कहानीअंतोन चेखव की कहानी गिरगिटकहानीगिरगिटमशहूर लेखकों की कहानीलेखक अंतोन चेखवहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

Gulzar_Poem
कविताएं

यार जुलाहे: गुलज़ार की कविता

May 15, 2023
Ramkumar-Verma_Kahani
क्लासिक कहानियां

चेरी के पेड़: कहानी ख़ुशी और उदासी की (लेखक: रामकुमार वर्मा)

May 15, 2023
Dr-Sangeeta-Jha_Poem
कविताएं

अम्मा की यादें: डॉ संगीता झा की कविता

May 14, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist