बड़ी शरम की बात: औरत, मर्द और समानता की कहानी (लेखिका: इस्मत चुग़ताई)
औरत और मर्द के समान अधिकारों की वक़ालत करना और सही मायने में ऐसा होते हुए देखना दोनों में कितना ...
औरत और मर्द के समान अधिकारों की वक़ालत करना और सही मायने में ऐसा होते हुए देखना दोनों में कितना ...
सास-बहू का रिश्ता चूहे-बिल्ली के रिश्ते से कम दिलकश नहीं होता. इनके भाग्य में पहले ही दिन से दुश्मनी लिखी ...
कुछ लोग किस्मत में ही दुख लिखाकर आते हैं. इस्मत चुग़ताई की इस कहानी में दुनिया के सभी दुखों की ...
क्या होता है, जब बच्चे अचानक एक दिन बड़े बनकर, बड़ों की तरह काम करने का फ़ैसला करें? घर के ...
कई बार ज़िंदगी की घड़ी की कोई सुई किसी छोटी-सी बात पर अटक जाती है. ऐसी ही अटकी हुई कहानी ...
कहानी एक बेवा और शादी की उम्र की हो चुकीं उसकी दो बेटियों की. क्या-क्या नहीं किया बी-अम्मां ने बेटी ...
विभाजन के दौर में नई खिंची सरहद के दोनों ओर अफ़रातफ़री का माहौल था. जानमाल की हिफ़ाज़त के लिए हिंदुस्तान ...
उस दौर में, जब समलैंगिक रिश्तों पर लिखने की हिम्मत पुरुष लेखक तक नहीं कर पाते थे, उर्दू की महान ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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