अभी कोरोना कर्फ्यू जारी है और बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस भी चल रही हैं. घर पर रहते-रहते अक्सर बच्चे ये शिकायत करते हैं कि वे बोर हो रहे हैं. बच्चों के माता-पिता उन्हें बोर होने से बचाने के लिए घर के छोटे-छोटे काम करने कहते हैं या फिर कुछ व्यस्त रखने वाली गतिविधियों, जैसे- ड्रॉइंग, पेंटिंग आदि में लगा देते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि बच्चों को बोर होने देने के अपने फ़ायदे हैं. क्या हैं ये फ़ायदे? यह आलेख पढ़कर जानिए…
क्या आप दोनों भी उन अभिभावकों में हैं, जो बच्चे के मुंह से यह सुनते ही कि मैं बोर हो रही/रहा हूं, उसे व्यस्त रखने की चीज़ें ढूंढ़ने लगते हैं? उसे कोई किताब पढ़ने, पेंटिंग करने, बोर्ड गेम या फिर वीडियो गेम आदि खेलने की सलाह देते हैं? तो अब से आपको हर बार ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है. बच्चों को घर के काम सिखाकर या ऊपर बताई गई गतिविधियों से जोड़कर उनकी बोरियत सप्ताह में एक-दो बार दूर नहीं करेंगे तो आप उन्हें क्रिएटिव ही बनाएंगे. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा!
एक बहुत नामचीन लेखिका के बेटे ने यह बात कही थी कि जब वे छोटे थे तो उनके यहां ऐसा माहौल था कि यदि बच्चा अकेला बैठा है और उनकी मां ने उनसे पूछा कि क्या कर रहे हो? तो इस सवाल के जवाब में यह कहने पर कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूं. बस, बैठकर कुछ सोच रहा हूं. इस जवाब को बहुत सहजता से लिया जाता था. मतलब ये कि कुछ नहीं करना, सोचना और बोर होना ये तीनों चीज़ें हमारे जीवन का हिस्सा हैं और इन्हें बिल्कुल सामान्य तरीक़े से लिया जाना चाहिए. तो आइए, जानते हैं कि बच्चों को कभी-कभार बोर होने देने के क्या फ़ायदे हैं…
बोर होने से बच्चों की रचनात्मकता बढ़ती है
कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि हमारा दिमाग़ वहां लगने से अक्सर भटकने लगता है, जहां हम इसे लगाना चाहते हैं. यह तब और ज़्यादा सोचने लगता है, जब हम इसे भटकने से रोकना चाहते हैं. और जब लोग बोर होते हैं तो वे और ज़्यादा रचनात्मक हो जाते हैं-यह बात बच्चों के लिए भी बिल्कुल सही है. वर्ष 2013 में ब्रिटिश साइकोलॉजिकर सोसाइटी के डिविशन ऑफ़ ऑकुपेशनल साइकोलॉजी ऐनुअल कॉन्फ़रेंस में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक़, बोर होने को हमेशा नकारात्मकता से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन इसका सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि बोर होना आपकी क्रिएटिविटी को बढ़ा सकता है. दरअस्ल, जब बोर होने पर बच्चों को आपकी ओर से व्यस्त रखने वाली कोई गतिविधि नहीं मिलेगी तो अपनी ऊब को दूर करने की चाहत में बच्चे अपनी कल्पनाशीलता को ख़ुद ही बढ़ाने का प्रयास करेंगे.
बोर होने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य सुधरेगा
अमेरिकन साइकोलॉजिक असोसिएशन के एक आलेख में कहा गया है कि जब लोग बोर होते हैं तो वे अपनी पिछली बीती हुई ज़िंदगी के बारे में सोचते हैं और उन चीज़ों को याद करते हैं जो अर्थपूर्ण थीं. फिर वे अपने वर्तमान जीवन में भी वैसी ही सुकून देनेवाली अर्थपूर्ण चीज़ें करने को प्रेरित होते हैं. यह इसलिए होता है क्योंकि हमारा दिमाग़ असक्रिय या निष्क्रिय रहने से डरता है. जब हम बोर या असक्रिय होते हैं तो हमारा दिमाग़ कुछ दिलचस्प चीज़ें तलाशता है और हर नई चीज़ हमें ज़्यादा अर्थपूर्ण लगने लगती है. ठीक यही बात बच्चों के साथ भी होती है. अत: उन्हें कभी-कभी बोर भी होने दें.
बोर होने से बच्चों का स्वभाव दिलचस्प हो जाता है
यदि हम हमेशा अपने बच्चों के मनोरंजन के लिए मौजूद रहेंगे तो वे ख़ुद को व्यस्त रखने और ख़ुद के लिए मनोरंजन के साधन ढूंढ़ने का कौशल सीख ही नहीं पाएंगे. बतौर पैरेंट्स आपको लगता होगा कि आप उनके साथ जितना अधिक समय बिताएंगे उतना अच्छा होगा. लेकिन हम आपको बता दें कि आप अपने बच्चे के साथ कितना ज़्यादा समय बिताते हैं इसका इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि वे बड़े हो कर कैसे इंसान बनेंगे. उन्हें हर समय हमारी ज़रूरत नहीं होती, बल्कि ज़रूरी यह होता है कि वे अपनी चीज़ों को ख़ुद हैंडल करना सीखें. बच्चों का हर समय ध्यान रखकर और उन्हें व्यस्त रखकर हम उनके दिमाग़ को रचनात्मक होने से रोके रखते हैं. जब वे चीज़ों को ख़ुद हैंडल करते हैं तो उनमें आत्मविश्वास जागता है और उनके पास आपको सुनाने के लिए एक कहानी भी होती है. इस तरह वे ख़ुद को व्यक्त करना सीखते हैं.
तो अब जब कभी आपका बच्चा कहे कि मैं बोर हो रहा हूं, उसे कहें कि थोड़ा बोर होने का भी अलग ही मज़ा है. तुम ख़ुद ही सोचो कि इस बोर होने से कैसे निपटना है. और आप पाएंगे कि बच्चा इस समस्या का समाधान ख़ुद ही कर लेगा.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट