धीरे-धीरे जंक हमारी रूटीन लाइफ़ का एक हिस्सा-सा बन चुका है. जब भी हल्की-सी भूख लगे, सीधे पाउच फाड़ देते हैं, फिर चाहे पाउच के भीतर हवा हो या कचरा…सारा का सारा मलबा पेट में घुसेड़ देते हैं, है ना? ये ‘जंक’ चबाने की आदत आपको या आपके परिवार में पनप चुकी है, तो उखाड़ फेंकिये इसे. और इसे उखाड़ने का आसान तरीक़ा बता रहे हैं डॉक्टर दीपक आचार्य.
आप इस बात को मानें या ना मानें लेकिन धीरे-धीरे जंक हमारी रूटीन लाइफ़ का एक हिस्सा-सा बन चुका है. भूख लगने पर रेडी टू ईट जंक का पैकेट खोला और उसमें जो भी मिला उसे पेट में डाल लिया. कुछ नमूने तो कचरा निगलने के बाद उंगलियां भी चाटते दिख जाते हैं. इसमें किसी की गलती नहीं है भाई…ये पाउच बंद ‘जंक’ में कुछ ऐसे ही केमिकल्स डाले जाते हैं, जो आपके भीतर लत पैदा करने में सक्षम होते हैं. आप ऐडिक्ट होते चले जाते हैं और कई बार तो ठूंसते-ठूंसते ध्यान भी नहीं रख पाते कि आप ओवर ईटिंग कर चुके हैं. बटुआ भी ढीला करो और सेहत भी…क्या दौर चल रहा है कस्सम से! लोग खिचड़ी से नफ़रत करने लगे हैं, प्लास्टिक और केमिकल्स से मोहब्बत.
या तो जंक होता है या फ़ूड
‘जंक फ़ूड’ कहते हैं लोग इसे. ‘जंक फ़ूड’ कुछ होता ही नहीं है दद्दा, या तो वो जंक है या फ़ूड! दुकानों में झालर बनाकर लटकते आइटम क्या हैं, ये हम सभी जानते हैं. बस, स्वीकारते नहीं.
ये ‘जंक’ चबाने की आदत आपको या आपके परिवार में पनप चुकी है, तो उखाड़ फेंकिये इसे. अब क्या दीपकआचार्य कोई जादू करेंगे, जिससे ये आदत दूर हो जाए? कतई नहीं. कोई जादू-वादू नहीं. भिगोए हुए छोले खाओ. छोले तो जानते ही हैं ना? अरे यार…वो काबुली चने. आप सोच रहे होंगे कि अब ये छोले कौन-सा झंडा गाड़ देंगे? बताता हूं, वह भी बताता हूं.
पहले जानिए इन्हें खाने का तरीक़ा
तो करना ये है कि 100 ग्राम छोले रात को पानी में डुबोकर रख दीजिए, सुबह जब ये अच्छी तरह से सोक हो चुके होंगे तो इन्हें दिनभर में कभी भी एक साथ कंज़्यूम किया जा सकता है. आप इन फूले हुए छोलों को यूं ही चबाना पसंद ना करें तो थोड़े-से तेल में जीरा, हींग और मीठी नीम (करी पत्ता), हरी मिर्च से फ्राय कर लें, आधा नींबू भी निचोड़ मारें, मज़ा आ जाएगा आपको. कुलमिलाकर 100 ग्राम फूले हुए छोले सिर्फ़ 15 दिन लगातार खाएं. आप 10 दिनों के भीतर ही महसूस करेंगे कि जंक आपकी लाइफ़स्टाइल से आहिस्ता-आहिस्ता दूर खिसकता जा रहा, आपकी लत कम हो रही.
तो आख़िर क्यों होता है ऐसा?
फूले हुए (Soaked) छोलों में मौजूद होता है ताबड़तोड़ फ़ाइबर, प्रोटीन और आयरन. जान लीजिए कि सिर्फ़ 100 ग्राम छोले का मतलब है दिनभर का 70% डायटरी फ़ाइबर. सिर्फ 100 ग्राम छोले मतलब दिनभर के लिए जरूरी 40% प्रोटीन…सिर्फ 100 ग्राम छोले मतलब दिनभर के लिए ज़रूरी आयरन का 38% और ये सब आइटम जब एंट्री करते हैं आप के शरीर के अंदर ना तो तबियत हरी कर देते हैं. फ़ाइबर और प्रोटीन फुकटिया लगनेवाली भूख को पटखनी दे देते हैं. जो जंक के नाम पर आपके ब्रेन में घंटी बजती है, उसका स्विच ऑफ़ कर देते हैं. मजाक नहीं कर रिया, सच्ची! अब पूछोगे कि किस दम पर बता रहे हो ये सब? तो सुनो…
साइंटिफ़िक जर्नल में छपी क्लिनिकल स्टडी कहती है
एक बड़ा ही पॉपुलर साइंटिफ़िक जर्नल है ‘ऐपेटाइट’. वर्ष 2010 में एक बड़ी बेहतरीन क्लिनिकल स्टडी छापी इसने. जंक के 36 दीवानों के 2 ग्रुप बनाए गए. एक ग्रुप के लोगों को 15 दिनों तक लगातार 100 ग्राम फूले हुए चने दिए गए और दूसरे ग्रुप के लोगों को कुछ भी चरते रहने की अनुमति थी. ट्रायल खत्म होने के बाद जानकारी मिली कि छोले वाले ग्रुप के लोगों को पांचवें दिन के बाद जंक चरने का मन ही नहीं किया. एक्सपेरिमेंट के बाक़ी दिनों में तो ये लोग जंक स्टफ़ की गंध से भी चिढ़ने लगे. अरी दादा, जे का पढ़ लओ आप लोग ने? और सुनो, छोले वाले ग्रुप में कुछ डायबिटिक्स भी थे, उनके शुगर लेवल में भी गिरावट आई… तोअब बोलो Oh Wow!
लगे हाथ एक स्टडी का जिक्र और जान लो. जर्नल ऑफ़ फ़ूड साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी में वर्ष 2017 में Chickpeas suppress postprandial blood glucose concentration, and appetite and reduce energy intake at the next meal टाइटल से छपी स्टडी को पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि छोले एनर्जी तो देते हैं, पर भूख मार देते हैं, 35% तक शुगर लेवल भी डाउन कर देते हैं और हां, वज़न कम करने में भी मददगार हैं. आया समझ?
अब सुनिए, ये धुर देसी ज्ञान है!
अब इन रिसर्च में कौन-सी नई बात है? ये तो हम सब को पता ही था. स्प्राउट्स की ख़ासियत तो हम जानते ही हैं, भीगे हुए चने और छोले भी हम गाहे-बगाहे खाते रहते हैं. ये तो वैसे ही अपने देश का ज्ञान है ही. बस फ़र्क़ इतना है कि अपन लोगों को जब तक डंडा नहीं पड़ता, तब तक काम नहीं करते. जंक फेंक मारो, वरना शरीर ऐसा डंडा मारेगा ना, कि झंडा गाड़ने लायक नहीं रहोगे. स्वस्थ रहो, मस्त रहो, टनाटन खाओ, बढ़िया आइटम्स खाओ, थोड़ा वापसी करो. बात जमे तो शेयर करें, अपनों को अपना समझते हैं तो केयर करें.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट
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