पिता के होने और न होने के क्या मायने होते हैं, बता रही हैं पिता पर केंद्रित कवि नरेश चंद्रकर...
एक बिगड़े रईसज़ादे सलाहो का बॉडीगार्ड है दूदा पहलवान. वक़्त के साथ रईसज़ादा और बिगड़ता गया और दूदा की वफ़ादारी...
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायकों में एक थीं. अंग्रेज़ों द्वारा उनके राज्य झांसी...
ईश्वर एक है, इस सनातन सत्य को हम सभी मानते हैं. पर उसके नाम, उसकी प्रार्थनाएं और उस तक पहुंचने...
जहां प्रेम है, वहां ईर्ष्या भी चुपचाप अपनी जगह बना लेती है. पशु-पक्षी प्रेमी लेखिका महादेवी वर्मा के संस्मरणों में...
प्रेम और आशा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. जहां प्रेम है, वहां आशा है. और दोनों को जोड़ती...
एक है भारत और दूजा इंडिया. दोनों एक ही हैं, पर कितने अलग-अलग हैं, लोकप्रिय कहानीकार मन्नू भंडारी जी की...
गुलज़ार साहब की यह छोटी-सी कविता, अपने अंदर बड़े गहरे भाव छुपाए बैठी है. कई मुग़ालतों से बाहर खींच लाती...
कई बार अपनों के मना करने के बाद भी हम किसी ज़िद पर अड़ जाते हैं, कई बार ऐसी ज़िद...
कवि कुंवर बेचैन की कविताएं भले ही छोटी होती थीं, पर उनकी फ़िलॉसफ़ी बहुत ही बड़ी होती थी. दूरियों और...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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