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Home रिलेशनशिप पैरेंटिंग

घर में पालतू जानवर हों तो बच्चों को होते हैं कई व्यावहारिक फ़ायदे

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
June 17, 2021
in पैरेंटिंग, रिलेशनशिप
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घर में पालतू जानवर हों तो बच्चों को होते हैं कई व्यावहारिक फ़ायदे
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पालतू जानवरों को घर पर रखने के कई फ़ायदे होते हैं और यदि आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो वे भी जानवरों के साथ रहते हुए बहुत कुछ सीखते हैं. कई लोग घर की सुरक्षा के लिए कुत्ते पालते हैं, जबकि कई लोगों को बिल्लियां, कछुए, मछलियां, खरगोश आदि को पालने का शौक़ होता है. आप चाहे जो भी जानवर पालें, उससे आपके बच्चे को किसी न किसी तरह का फ़ायदा ज़रूर होगा. आइए जानते हैं, क्या हैं पेट्स को रखने के फ़ायदे.

हम तो आपको पेट्स रखने से होने वाले फ़ायदे के बारे में तो बताएंगी ही, पर उससे पहले हमने सोच क्यों न किन्हीं ऐसे पैरेंट्स से बात की जाए, जिन्होंने हाल ही में घर पर पेट रखा हो और जो उससे बच्चों को होनेवाले फ़ायदे या उसकी वजह से बच्चों के व्यवहार में आए बदलाव के बारे में बता सकें. तो हमने बात की अपेक्षा अभिषेक श्रीवास्तव से, जिनका बेटा है कियान. और कोई लगभग तीन-चार महीने पहले उन्होंने कियान को एक बडी यानी दोस्त के तौर पर एक प्यारा-सा पपी गिफ़्ट किया है. जब हमने अपेक्षा से अपना सवाल पूछा तो बड़े उत्साह से उन्होंने बताया,‘‘पेट के आने से वाक़ई हमारे यहां बहुत कुछ बदल गया है. और ये बदलाव सकारात्मक है. अभी मेरे बेटे के सामने हर बात के लिए एक उदाहरण है, जैसे- हम यदि पहले उसे डांट देते तो वो रूठ जाता था. पर हम उसे बता पता हैं कि ग़लत काम करने पर हमने पेट को भी डांटा, पर देखो थोड़ी देर बाद वो फिर हमारे पास आ जाता है. फिर जैसे- हमने पेट को बॉल उठाना सिखाया तो वो पहली बार, दूसरी बार नहीं सीख पाया, पर तीसरी बार सीख गया. तो इससे कियान को लगा कि हां, प्रैक्टिस करते रहें तो चीज़ें सीख जाते हैं. और नहीं सीख पा रहे हैं तो गिव-अप नहीं करना है, कोशिश करनी है.’’
अपेक्षा ने आगे बताया,’’जब पेट कुछ अचीव करता है तो हम उसे छोटी-सी ट्रीट देते हैं. तो कियान को भी सिखाया कि अपने छोटे-छोटे अचीवमेंट्स को एंजॉय भी करना चाहिए. हमने पेट को सूसू-पॉटी ट्रेनिंग दी तो उस प्रक्रिया में बेटे को भी शामिल किया. तो उसके भीतर ज़िम्मेदारी की भावना आई, उसे यूं लगने लगा, जैसे-अब वो बड़ा हो गया है और घर में कोई छोटा सदस्य आ गया है. पेट के आने के बाद से मेरा बेटा अपनी भावनाओं को अच्छी तरह व्यक्त करने लगा है. अब वो समझता है कि कैसे हमारा पेट हमारे आसपास घूमता है, वो चाहता है कि उसके साथ खेला जाए, दुलारा जाए. तो पेट के साथ-साथ वह भी ख़ुद को अभिव्यक्त करना सीख रहा है. मेरे बेटे के सामने अब एक लाइव एग्ज़ाम्पल है मेरे पेट का. इससे मेरे लिए बेटे को चीज़ें समझाना भी बहुत आसान हो गया है. ’’

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पेट्स को पालने के फ़ायदे यहां जानिए:

• पेट्स पालने से बच्चों में आता है ज़िम्मेदारी का एहसास: जब घर में पेट आता है तो उससे जुड़ी कई ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. इनमें से कुछ ज़िम्मेदारियां यदि आप बच्चों को दे दें और यह देखें कि बच्चा उन ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाए. बच्चे पेट को खाना दे सकते हैं, उनकी ट्रेनिंग में मदद कर सकते हैं, उन्हें घुमा सकते हैं या फिर उनके साथ दिनभर में कुछ देर खेल सकते हैं. इससे बच्चे ज़िम्मेदार बनते हैं और इसका फ़ायदा उन्हें अपने जीवन के हर मोड़ पर होता है.

• बच्चे स्फूर्तिवान बनते हैं: घर पर पेट हो तो बच्चे उसके साथ खेलते हैं या उन्हें घुमाने ले जाते हैं. नियम से यह काम करते रहने से बच्चे स्फूर्तिवान बनते हैं. जब बच्चे इस तरह से एक्सरसाइज़ करते हैं तो उनके भीतर का तनाव भी कम होता है और वे बिना किसी अपेक्षा के ख़ुश रहना सीखते हैं.

• ख़ुद को व्यक्त करना सीखते हैं: जानवरों के साथ रहकर बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सीखते हैं. वे स्पर्श और किसी को समय देकर स्नेह जताने के गुणों से वाक़िफ़ होत हैं. उनके भीतर दूसरों के प्रति करुणा का भाव जागता है. और सबसे अच्छी बात ये कि पेट के रूप में उन्हें अपना एक साथी मिल जाता है.

• नकारात्मक भावनाओं से रहते हैं दूर: अपने पेट के साथ खेलने से बच्चों का फ़ोकस बढ़ता है और वे नकारात्मक भावनाओं से दूर होते हैं. यह पाया गया है कि पेट्स के साथ खेलने से बच्चों में सेरोटोनिन और डोपामाइन हॉर्मोन्स का स्तर बढ़ता है और ये दोनों ही हॉर्मोन्स ख़ुश होने पर ही स्रवित होते हैं. इससे बच्चों में नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं.

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टीम अफ़लातून

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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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