क्या कभी आपने लहसुन की पत्तियों की चटनी खाई है? क्या आप इसके गुणों के बारे में जानते हैं? क्या आपको यह पता है कि इजिप्टियन, बेबीलोनियन, ग्रीक्स, रोमन्स से लेकर चायनीज़ और हिंदुस्तानी पारंपरिक ज्ञान में लहसुन की पत्तियों के गुणों की चर्चा होती रही है? आख़िर सेहत के लिए कितना उपयोगी है इसे अपनी डायट में शामिल करना, डॉक्टर दीपक आचार्य आज हमें इसी बारे में बता रहे हैं.
तो चलिए आज एक प्रॉमिस कर रहा हूं आप सबसे, देहाती खानपान और हर्बल मेडिसिन्स की सॉलिड जानकारियां देता ही रहूंगा आपको. तो हुआ यूं कि आज मेरे नसीब में आई लहसुन की पत्तियों की ताज़ा ताज़ा चटनी. भटकते हुए एक गांव आया, एक खेत गया, खेत में लहसुन लगी हुई दिखी तो मैंने उचका दिए आठ-दस पौधे और आ गया अम्मा की झोपड़ी में. अम्मा से बोला ‘अब क्या बनाएंगी इससे?’
‘अरे बेटा, चटनी खा, तबियत हरी हो जाएगी,’ अम्मा का तपाक से जवाब आया.
तो जी, अम्मा ने सबसे पहले इसे तबियत से धोया, साफ़-सफ़ाई की और क़रीब 4-5 हरीमिर्च और अदरक कुतरकर लहसुन की इन पत्तियों के साथ सिलबट्टे पर धसक-धसक कर पेस्ट बनाया. चूल्हे पर कड़ाही चढ़ी, तेल गरम किया गया, तेल में जीरा, राई और लाल मिर्च का छौंक देकर इस पेस्ट को उड़ेल दिया गया. थोड़ी देर तेज़ आंच पर पकाया और तैयार हो गई हरे लहसुन की चिरपिरी यानी तीखी चटनी.
मक्के की रोटी, ये चटनी और गुड़… वल्लाह! लहसुन के पत्तों में पाया जाता है एलिसिन और सल्फ़र. कोलेस्टेरॉल का मसला हो या दल की धड़कन का मामला, कमाल करती है यह चटनी. इजिप्टियन, बेबीलोनियन, ग्रीक्स, रोमन्स से लेकर चायनीज़ और हिंदुस्तानी पारंपरिक ज्ञान में लहसुन की पत्तियों के गुणों की चर्चा होती रही है. इसके सल्फ़र कंपाउंड पेट में उतरते ही शरीर के तमाम हिस्सों तक पहुंचकर अपना काम करने लगते हैं.
भोजन करते करते अम्मा बताती हैं कि दो दिनों तक लगातार दिन में दो बार इस चटनी को खा लिया तो सर्दी की बिजली गुल हो जाएगी, छू मंतर. बाय द वे, कभी मौक़ा हाथ लगे तो एक रिसर्च स्टडी पर नज़र फेर आइएगा: Preventing the common cold with a garlic supplement: a double-blind, placebo-controlled survey. वैज्ञानिक जोसलिंग का ये रिसर्च वर्क ‘ऐड्वांस थेरप्यूटिक्स’ जर्नल में वर्ष 2001 में छपा था. अम्मा की दी जानकारी तो आपने पढ़ ली, अब जोसलिंग साहब की स्टडी के परिणाम मेरी तरफ़ से पढ़िए. ये साहब अपने क्लीनिकल ट्रायल के आधार पर बताते हैं कि आमतौर पर सर्दी पांच दिनों तक चलती है, लेकिन सर्दी से त्रस्त रोगियों को लहसुन सप्लिमेंट देने के बाद 70% लोगों में सर्दी महज़ डेढ़ दिन रही. अब बोलो, अम्मा सही हैं ना? ये है हमारे देश का परंपरागत ज्ञान, देश का ज्ञान
इसीलिये कहता हूं भटको तभी तो अटकोगे. मैंने तो शुरुआत में ही कर दिया था अपना प्रॉमिस पर अब आप प्रॉमिस करो कि ये जानकारी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक जाएगी, साझा होगी. हां, पर अपने नाम से चेपकर नहीं, कतई नहीं, जिसका क्रेडिट है उसे क्रेडिट ज़रूर दीजिए.
अब ज़्यादा पंचायत ना करते हुए इतना ही कहूंगा कि अपना ख़्याल रखिएगा. इस मौसम में भी मिल रही हैं तो लहसुन की हरी पत्तियों को खोजने निकल पड़ें. चटनी बनाएं, ख़ुद खाएं, सबको खिलाएं, मुझे याद करें और हां, एक और काम की बात: अपने घर के और आसपड़ौस के बुज़ुर्गों से संवाद ज़रूर करें.
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