आख़िर कहां से हिंदुस्तान में आया हलवा?
‘‘हलवा समझे हो क्या?’’ हिंदी फ़िल्मों में बहुत सुन लिया होगा अब तक यह आप सबने. और मतलब इसका शायद ...
‘‘हलवा समझे हो क्या?’’ हिंदी फ़िल्मों में बहुत सुन लिया होगा अब तक यह आप सबने. और मतलब इसका शायद ...
भोजनान्ते पिबेत् तक्रं, दिनांते च पिबेत् पय:। निशांते पिबेत् वारि: दोषो जायते कदाचन:।। भोजन के बाद छाछ पीने वाला, सुबह ...
लकीरों ने लोग बांट दिए घर की याद कैसे बांटोगे बरसों से जीव्हा पर ठहरा स्वाद कैसे बांटोगे हिन्दुस्तान, पाकिस्तान ...
होली भले ही गुज़र चुकी हो, पर हमारे यहां तो रंग पंचमी तक सभी पर इसका ख़ुमार चढ़ा ही रहता ...
आज उनसे मिलना है हमें, आज उनसे मिलना है हमें चलो उनके लिए कुछ लेते चलें थोड़ी गुझिया बर्फ़ी लेते ...
इंदौर शहर आने के पहले ही एक ख़ुशबू हवा में तैरने लगती है और बस आप स्टेशन पर उतरे नहीं ...
मज़े की बात यह है कि आप शक्कर या गुड़ खाने से कहीं से भी बच जाएं, लेकिन गुजराती खाने ...
आज हम घूमेंगे राजस्थान की रेत में और मालवा की गलियों में भी, वो भी एकसाथ. क्योंकि हम बात करेंगे ...
कोई ‘बेक्ड समोसा’ बोलता है तो क्या छवि आती है आपके दिमाग़ में? यही न शायद तेल कम खाने वाले ...
भोजन और उससे जुड़े हुए व्यवसाय एकमात्र ऐसे व्यवसाय हैं, जो कभी पूरी तरह बंद नहीं हो सकते- फिर चाहे ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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