तीन दिन पहले अमेरिका की सेलेब्रिटी एंकर ओप्रा विन्फ्रे ने प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल का इंटरव्यू लिया, जिसमें हैरी और मेगन ने शाही परिवार से अलग हो कर सामान्य जीवन का चुनाव करने के जो कारण गिनाए, वो दुनियाभर में चर्चा का विषय तो बने ही, पर ब्रिटेन में तो जैसे भूचाल आ गया. इस मुद्दे पर हमें वरिष्ठ पत्रकार जयंती रंगनाथन का नज़रिया बेहद पसंद आया. यहां आप भी उनका नज़रिया जान सकते हैं…
बात तीन दिन पुरानी है. लेकिन आज भी उतनी ही नई है. अमेरिका की सुपर एंकर ओप्रा विन्फ्रे ने ब्रिटेन की रानी के बेटे हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल का इंटरव्यू क्या लिया, ब्रिटेन से ले कर लगभग पूरी दुनिया में ज़लज़ला आ गया. सोच दो फाड़ों में बंट गई. एक सोच ब्रिटेन के महारानी और सामंतवादी सोच के साथ है तो दूसरी सोच नई पीढ़ी के बगावती बच्चों हैरी और मेगन के साथ.
मेगन ने लगभग रोते हुए ओप्रा को कई सारी बातें बताईं. यह कि किस तरह शाही महल में उनका दम घुट रहा था और उन्हें उनकी तरह से जीने नहीं दिया जा रहा था. शादी वाले दिन भी उनकी जेठानी केट ने उन पर ताना कसा था और वो रो पड़ी थीं. यही नहीं, जब वो प्रेग्नेंट हुई तो शाही महल के भीतर के एक किसी ने उनकी नस्ल पर टिप्पणी की कि पता नहीं बच्चे का रंग कैसा होगा. उनके भीतर ख़ुदकुशी का भी ख़्याल आया. ये और इसके जैसी कई सारी वजहें थीं जो हैरी और मेगन ब्रिटेन में शाही महल, धन-दौलत और प्रिविलेज ठुकरा कर नए सिरे से एक मामूली ज़िंदगी शुरू करने कनाडा आ गए. अब दोनों नेट फ़्लिक्स की एक सीरीज़ में काम करने जा रहे हैं.
मेगन का रोना सिमी गरेवाल को घड़ियाली लग रहा है. आज पत्रकार नलिनी सिंह ने भी इस पूरी घटना की तुलना हिंदुस्तानी मानसिकता से की है, प्रेमचंद की कहानियों का उदाहरण दिया है कि किस तरह शाही परिवार अंदर से खोखला होता है.
मैं इस समय पूरी तरह मेगन के साथ हूं. मेगन ने टीवी सीरियल और फ़िल्मों में अपना बना-बनाया करियर छोड़ कर हैरी से शादी करने की इच्छा जताई. हर आम लड़की की तरह वो भी शाही परिवार को ले कर अभिभूत थी. पर ज़िंदगी भर अपने आपको मार कर, बदल कर, दूसरों के बताए रास्ते पर चल कर उसे क्या मिलता? ये जो चार दिन की ज़िंदगी है, क्या उसमें यह महत्वपूर्ण नहीं कि खुली हवा में सांस ले सकें? ऐसी ज़िंदगी, जहां बेशक़ पैसे कम हों, लेकिन इज़्ज़त भरपूर हो. आपके बच्चे आपके हों, आपकी सोच आपकी हो. आप पूरी शिद्दत और उत्साह से अपनी ज़िंदगी जी सकें?
ये बात सिर्फ़ मेगन पर ही लागू नहीं होती, हमारे यहां की उन हज़रों-हज़ार लड़कियों और लड़कों पर लागू होती है जो उम्र के पचास साल गुज़र जाने के बाद आलापने लगते हैं कि पापा ने, अम्मा ने, परिवार ने, समाज ने हमें यह करने ना दिया. वरना हम भी आज… कुछ हो जाते. बीस की उम्र में ही निर्णय ले लो ना यार. कर डालो! बाद में कुछ बन जाओगे तो ये ही पापा, मम्मी, समाज तुम पर फ़ख्र भी करेगा. यही नहीं, तुम दूसरों के लिए एक रास्ता बन सकोगे सो अलग.
तो फ़िलहाल शाही परिवार के अंदर का बहुत कुछ सड़ा-गला सच बाहर आने को है. इट इज़ हाइ टाइम… राजा, शासक, सामंत, ज़मींदार सबको ज़मींदोज हो जाने दो. जो है सबके लिए है, एक सा हो…
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